
– फोटो : amar ujala
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जैसे-जैसे शाम ढलती है लखनऊ के चटोरे लखनवी खानपान को चखने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। जहां लखनऊ संस्कृति, तहजीब, रहन-सहन और विरासत के लिए जाना जाता है तो वहीं लखनऊ की गलियां यहां के स्वादिष्ट व लजीज भोजन से हमेशा महकती हुई मिल जाती हैं। दूरदराज से आने वाले सैलानियों के लिए अमर उजाला लखनवी खानपान की सीरीज लेकर आया है जिसमें हम अपने दर्शकों को लखनऊ के खानपान से संबंधित हर उस चीज से रूबरू करवाएंगे जहां पर उन्हें स्वादिष्ट व लजीज भोजन चखने जरूर जाना चाहिए। पहले एपिसोड में हम आपको शर्मा की चाय, अजय के खस्ते, उदय गंज के रमेश की पूरी, शुक्ला चाट से परिचय कराएंगे जिसमें आप विस्तार से इन लजीज व्यंजनों के पास पहुंच पाएंगे तो चलिए शुरू करते हैं….
बेहद खास है अजय खस्ते वाले का खस्ता
लखनऊ के हुसैनगंज चौराहे के समीप अजय खस्ते वाले की दुकान है। आप लखनऊ की सैर कर रहे हैं और खाने-पीने के शौकीन हैं तो आपको अजय का खस्ता जरूर खाना चाहिए। अजय खस्ते की दुकान पर मौजूद तीसरी पीढ़ी के रूप में ऋषभ गुप्ता ने हमें बताया कि पहले हमारा खस्ता इतना प्रसिद्ध नहीं हुआ था।
इसके पीछे की कहानी है कि हमारे बाबा बीमार रहते थे। बाबा की बीमारी को देखते हुए दादी ने कुछ काम करने की योजना बनाई। उस वक्त हमारे यहां बहुत गरीबी थी। परदादी के पांच बेटियां थीं। धीरे-धीरे उन्होंने व्यवसाय को आगे बढ़ाया। धीरे-धीरे अपनी शुद्घता और स्वाद के कारण यह लोगों को लुभाने लगा। आज हजारों की संख्या में रोजाना खस्ते बिकते हैं।
इस तरह होता है तैयार
40 साल से अजय खस्ते की दुकान पर काम कर रहे श्यामलाल ने बताया कि खस्ता कब इतना प्रसिद्ध हो गया हम लोग जान ही नहीं पाए। हमारे यहां के खस्ते की खासियत यह है कि यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को लुभाता है। यह बाहर से कड़क व अंदर से बेहद मुलायम होता है। पहले हम कच्चा माल तैयार करते हैं और फिर तीन से चार घंटे के लिए इसे छोड़ देते हैं। दूसरी तरफ दाल भिगो दी जाती है। दाल को पीसकर विशेष तरीके से भरना तैयार किया जाता है। भरने को भरने के बाद बेलकर डबल फ्राई करते हैं जिससे यहां अंदर बेहद मुलायम रहता है और बाहर क्रंची रहता है। यही कारण है कि 1927 से लेकर अब तक लोगों को खूब लुभा रहा है।