
बृजभूषण शरण सिंह
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भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और करनैलगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के शोषण के आरोप में मुकदमा दर्ज हो गया है। करीब तीन दशक तक अवध से लेकर पूर्वांचल तक राजनीति के अहम किरदार रहे बृजभूषण पर मुकदमे का देवीपाटन मंडल सहित छह जिलों की सियासत पर असर पड़ेगा।
देवीपाटन मंडल के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती जिले में बृजभूषण का राजनीतिक दबदबा है। अयोध्या मंडल के अयोध्या में संत समाज, हिंदुत्व के मुद्दे और समर्थकों के जरिये बृजभूषण की मजबूत पकड़ है। वहीं आंबेडकर नगर में बृजभूषण का मजबूत राजनीतिक वजूद माना जाता है। बृजभूषण के शिक्षण संस्थानों, खनन कारोबार और अन्य व्यापार के जरिये उनका वजूद है। पंचायतीराज चुनाव 2021 में जब जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भाजपा को बुरी तरह शिकस्त मिली थी उस समय गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती और आंबेडकर नगर में ब्रजभूषण ने ही कमान संभालकर भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित कराए। बृजभूषण दावा करते रहे हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 में भी उन्हें जिन विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उनमें से 80 फीसदी में भाजपा को जीत मिली। यही वजह है कि छह जिलों में शासन से लेकर सत्ता की चाबी बृजभूषण के हाथ रहने के कारण सत्ता पक्ष, विपक्ष के नेताओं के साथ अधिकारी भी उनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
जानकारों का मानना है कि तीन दशक से अधिक समय तक दबंगई के साथ राजनीति करने वाले बृजभूषण महिला पहलवानों की धोबी पछाड़ के शिकार होते नजर आ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल मानते हैं कि बृज भूषण पर मुकदमा दर्ज होने से तो कोई खास असर नहीं होगा। लेकिन भाजपा ने यदि उन्हें निलंबित या निष्कासित किया, लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काटा तो इसका राजनीतिक असर होगा। उनका मानना है कि पूरे मामले में बृज भूषण की प्रतिक्रिया पर नजर रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार विशम्भरनाथ भट्ट का मानना है कि बृजभूषण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें नाराज करना अव्वल तो भाजपा के लिए आसान नहीं है। उनका कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को तय करना होगा कि लोकसभा चुनाव में उन्हें बृजभूषण की आवश्यकता है या नहीं। इसके आधार पर ही आगे की कार्यवाही तय होगी।
नरम पड़ने लगे हैं तेवर
बृजभूषण शरण सिंह को विवादितों बयानों से सरकार और भाजपा के शीर्ष लोगों की नाराजगी का अहसास हो गया है। भाजपा के जानकार मानते हैं कि सालों तक भाजपा की बैठकों से दूरी बनाए रखने वाले बृजभूषण ना सिर्फ अब प्रदेश मुख्यालय की बैठकों व संगठनात्मक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं बल्कि जिला स्तरीय बैठकों में भी सामान्य सांसद के रूप में उपस्थित होते हैं। बीते दिनों प्रदेश मुख्यालय में आयोजित बैठक में पदाधिकारियों के तेवर गरम होने पर बृजभूषण ने ही प्रदेश अध्यक्ष से बंद कमरे में बात करने का सुझाव रखा था।
बृजभूषण का विवादों के अखाड़े से पुराना नाता
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का विवादों के अखाड़े से पुराना नाता रहा है। यूट्यूब चैनल पर एक व्यक्ति की हत्या कबूलने से लेकर शिवसेना के महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को अयोध्या में प्रवेश नहीं करने देने की धमकी तक बृजभूषण विवादों के चलते अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।
बलरामपुर से भाजपा के तत्कालीन सांसद बने बृजभूषण शरण सिंह पर 1993 में माफिया दाउद इब्राहिम के चार सहयोगियों को अपने आवास पर शरण देने का आरोप लगा। मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। बृजभूषण शरण सिंह पर सपा सरकार में मंत्री रहे पंडित सिंह पर जानलेवा हमले का आरोप भी लगा। 2004 में राजस्व मंत्री रहे घनश्याम शुक्ला की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत के बाद भी बृजभूषण सिंह आरोपों के घेरे में आए। 2008 में यूपीए के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में भाजपा सांसद रहते हुए भी बृजभूषण पर कांग्रेस के समर्थन का आरोप लगा था। उसके बाद बृजभूषण सपा में शामिल हो गए थे। 15 दिसंबर 2021 को रांची में एक आयोजन में बृजभूषण ने मंच पर एक पहलवान को थप्पड़ मारा था।