लखनऊ। गोमतीनगर विस्तार सेक्टर सात स्थित रिशिता डवलपर्स के आवंटियों की पूर्व प्रस्तावित बैठक रविवार को प्रबंधन के साथ नहीं हो सकी। इससे आवंटियों से सवा से दो लाख रुपये तक के बंधा शुल्क की डिमांड का मामला हल होने के बजाय उलझता जा रहा है। उधर, लखनऊ जनकल्याण महासमिति के पदाधिकारियों ने आवंटियों के बीच पहुंच कर उनकी पीड़ा सुनी और मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर उत्पीड़न की शिकायत की। महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि एलडीए का तर्क है कि ओमेक्स से पूर्व में हुए एमओयू के आधार पर बंधा शुल्क लिया गया है। जबकि ध्यान देने वाली बात है कि जब कोई प्रोजेक्ट बनता है तो बिल्डर अपने सभी खर्चे जोड़कर आवंटियों से शुल्क निर्धारित करता है, जिसमे सड़क, नाला, सीवर, पानी और सुरक्षा के मानक आदि सभी जरूरी सुविधाएं शामिल होती हैं। उन्होंने कहा कि ओमेक्स और एलडीए के बीच एमओयू हुआ था तो यह एलडीए और ओमेक्स का मामला है। मगर आवंटियों ने रिशिता बिल्डर से एक समझौता किया, जिसने बंधा शुल्क जैसी कोई शर्त नहीं थी। ऐसे में अब आवंटियों से वसूली कैसे हो सकती है। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बंधा सिर्फ रिशिता या ओमेक्स के लिए नहीं बना है। पुलिस मुख्यालय से लेकर नगर निकाय निदेशालय सहित अन्य दर्जनों सरकारी और निजी बिल्डिंगे बनी हैं। ऐसे में क्या सभी से बंधा शुल्क लिया गया है, यह भी एक जांच का विषय है।