बाहर से करवानी पड़ती है जांचसीएचसी लहरपुर में दो माह से शुगर की जांच किट नहीं है। इससे गर्भवती व अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन जिला अस्पताल के बाहर से जांच कराना पड़ रहा है। सीएचसी अधीक्षक डॉ. आनंद मित्रा ने बताया कि केवल इमरजेंसी मरीजों की शुगर की जांच की जा रही है। अन्य के लिए मांग पत्र भेजा गया है।

दो माह से संकट

सीएचसी मिश्रिख में दो माह से शुगर व हीमोग्लोबिन की जांच के लिए किट का अभाव बना हुआ है। इधर सरकार ने प्रत्येक माह में चार बार महिलाओं की जांच के लिए सीएचसी पर मातृत्व दिवस शुरु कर दिया है। ऐसे में यहां पर आने वाली गर्भवती को जांच की दिक्कत होती है। सीएचसी अधीक्षक डॉ. आशीष कुमार ने बताया किट नहीं है तो पेपर पद्वति से शुगर की जांच होती है।

सीतापुर। प्रदेश सरकार भले ही अस्पतालों में सभी जांचों की सुविधा निशुल्क होने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत जुदा है। गर्भवती के बेहतर देखभाल के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस दो से बढ़ाकर अब प्रत्येक माह चार दिन कर दिया गया है। लेकिन इन दिनों का लाभ गर्भवती को नहीं मिल रहा है। वह हीमोग्लोबिन व शुगर की जांच बाहर से करवा रहीं हैं। कारण यह है अधिकतर सीएचसी पर किट के अभाव में जांचें नहीं हो पा रही है। गर्भवती के साथ अन्य मरीज भी बाहर से जांच करवा रहे हैं।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस प्रत्येक माह की एक, नौ, 16 व 24 तारीख को जिला महिला अस्पताल सहित सभी 19 सीएचसी पर किया मनाया है। इस दिवस का मकसद यह है कि इस दिन विभाग के प्रशिक्षित कर्मी उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को चिन्हित करेंगे। साथ ही इन गर्भवती की जांच और इलाज प्राथमिकता देने के साथ ही उनके लिए विशेष प्रबंध भी करेंगे। गर्भवती को उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल की बीमारी, क्षयरोग व मलेरिया आदि की स्थिति में जोखिम का आंकलन करेंगे ताकि प्रसव के दौरान खतरनाक स्थिति न बने।

प्रसव पूर्व जांच में ऐसी महिलाओं को चिन्हित कर सरकारी अस्पतालों में उनका उपचार किया जाएगा। हर माह करीब इन सीएचसी पर दो हजार से अधिक महिलाएं आती है। लेकिन किट के अभाव में जांच नहीं कर पा रही। किसी सीएचसी पर दो माह से तो किसी सीएचसी पर तीन माह से किट नहीं है। स्वास्थ्य विभाग का दावा तो यह जब किट नहीं है हेल्थ एटीएम व पेपर पद्वति से भी जांच हो जाती है। लेकिन चिकित्सकों का कहना है पेपर से जांच की पुष्टि सही तरीके से प्रमाणित नहीं है। इससे गर्भवती सहित अन्य मरीज बाहर से जांच करवाने को मजबूर होते है।



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