Lucknow News: The hearts of the farmers are beating due to the changing weather, this time the mango crop may

शनिवार को मौसम बदलने के बाद हुई बारिश।
– फोटो : अमर उजाला।

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मौसम के बदलाव से एक बार फिर से किसानों के दिल धड़क रहे हैं। पहले ही मौसम की मार से फसल को भारी नुकसान पहुंचा था कि अब फिर से बादल बरस रहे हैं। हालांकि तेज बारिश और आंधी का असर अभी कम है पर यदि हुआ तो सबसे ज्यादा नुकसान आम की फसल को होगा। चूंकि आम की फसल को पहले ही नुकसान हो चुका है तो बागबान इस मौसम को लेकर बहुत परेशान हैं।

मौसम बदल रहा है। प्रदेश भर में बारिश हो रही है। गेहूं की फसल की कटाई तो अधिकतर हो चुकी है पर जहां लेट कटाई हुई वहां नुकसान हो गया। कटी हुई फसल भीग गई। उधर पिछले महीने मौसम के बदलाव ने भी किसानों को रुलाया था। 15 मार्च से अप्रैल के पहले सप्ताह तक ही एक लाख 75 हजार किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा था। यह तो सरकारी आंकड़ा रहा। नुकसान तो इससे ज्यादा हुआ था।

आगरा, झांसी, फतेहपुर, चंदौली, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, प्रयागराज, बरेली, लखीमपुर खीरी आदि जिलों में किसानों की फसल बरबाद हुई। अभी तो किसान इससे ठीक से संभल भी न पाए थे कि अब फिर से मौसम बदल गया। पिछले माह तेज आंधी और ओलावृष्टि से आम की काफी फसल बरबाद हुई थी। आम का बौर टूट गया था। जहां फल बनना शुरू हुआ था वहां भी ओले से नुकसान हुआ। इस बारिश फिर हो रही है।

आशंका यह है कि कहीं ओलावृष्टि या आंधी न आ जाए। वाराणसी निवासी आम उत्पादक गिरवर सिंह कहते हैं कि इस बार आम की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। उधर, टमाटर, लौकी, तुरई, खीरा आदि की फसलों को भी नुकसान हो रहा है।

सालों बाद लौट आया है पायरिला

इस बार मौसम में असमय बदलाव का असर यह रहा है कि गन्ने की फसल पर पायरिला कीट ने हमला बोल दिया है। यह कीट कई साल बाद नजर आया है। यह गन्ने की पत्तियों का रस चूसता है और पत्तियां पीली हो जाती हैं। हालांकि इसका परजीवी भी स्वत: ही पैदा होता है जो इसे खाता है पर उसके पैदा होने में अभी समय है। जबकि पायरिला का असर समय से पहले आ गया है।

ऐसे में किसानों को यदि कहीं आवश्यकता है तो कीटनाशक का छिड़काव करना होगा। कृषि वैज्ञानिक डा. संदीप चौधरी के मुताबिक इमिडा क्लोरोपिड 17.8 एसएल एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों छिड़काव करें। जहां इसका ज्यादा असर हो वहीं छिड़काव किया जाए। हालांकि इसका यदि पूरे क्षेत्र में छिड़काव हो तो ही यह कारगर है क्योंकि एक खेत से खत्म होने के बाद यह दूसरे खेत के जरिए फिर से पैदा हो जाता है।



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