
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण।
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समाज कल्याण विभाग ने मथुरा के 58 शिक्षण संस्थानों को काली सूची में डाल दी गई है। छात्रवृत्ति एवं शुल्क भरपाई योजना में घपला करने पर यह कार्रवाई की गई है। इनमें 45 निजी आईटीआई और 13 अन्य शिक्षण संस्थान हैं। इससे ये संस्थान अब छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे। साथ ही घपला करके हड़पी गई राशि की इनसे वसूली भी होगी। विभागीय जांच में दोषी मिलने पर इन संस्थानों के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।
मथुरा में वित्त वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक निजी आईटीआई में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले की शिकायत मिलने पर निदेशालय स्तर से समिति गठित करके जांच कराई गई थी। समिति ने डुप्लीकेट छात्रों के साथ-साथ परीक्षा में न बैठने वाले छात्रों और स्वीकृत से अधिक सीटों पर योजना का लाभ लेने वाले छात्रों के डाटा का विश्लेषण किया गया। इससे 22.99 करोड़ रुपये का घपला सामने आया।
छात्रवृत्ति घोटाले में दोषी मिले 71 निजी आईटीआई शिक्षण संस्थानों और जिला समाज कल्याण अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित करके इनके खिलाफ मथुरा में एफआईआर दर्ज कराई गई। इस समय छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा, कानपुर नगर कर रही है।
इसके अलावा मथुरा के ही 13 अन्य शिक्षण संस्थानों ने निदेशालय के कूटरचित अभिलेख तैयार करके अनुचित लाभ लेने के लिए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। जांच में इन सभी 13 शिक्षण संस्थानों के दोषी पाए जाने पर इनके विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज कराई गई है। समाज कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में गठित राज्यस्तरीय समिति ने इन संस्थानों को काली सूची में डालने के लिए सुनवाई की।
सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 30 मई को 45 निजी आईटीआई और कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग करने वाले 13 शिक्षण संस्थानों को काली सूची में डाल दिया गया है।
जीरो टॉलरेंस की नीति पर सरकार कार्य कर रही है। घोटाले के आरोपी संस्थानों और इसमें संलिप्त विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी।
– असीम अरुण, समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)।