रायबरेली। जिले में पिछले 48 घंटे से कभी धूप तो कभी बदली के साथ बारिश होने से जिले की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पटरी पर नहीं लौट पाई है। ऐसे में ग्रामीणों को भीषण गर्मी और उमस से जूझना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत पेयजल की हो रही है। लोगों को हैंडपंपों से पानी भरकर लाना पड़ रहा है। वहीं धान की नर्सरी डालने के लिए पानी की कमी पूरी नहीं हो रही है। इससे किसानों में नाराजगी है। जगतपुर विद्युत उपकेंद्र से निकले उमरी फीडर का इनकमिंग पैनल जलने से आपूर्ति बाधित है। डीह उपकेंद्र से निकले फीडरों से आधे अधूरे गांवों में बिजली पहुंच रही है। गदागंज उपकेंद्र से जुड़े गांवों में बिजली नहीं पहुंच रही है। करीब छोटे-बड़े 500 गांवों की बिजली 48 घंटे बाद भी बहाल नहीं हो पाई है। वहीं शहर में बिजली आने-जाने का सिलसिला जारी है।
गुरुवार को अचानक मौसम बदल गया। तेज आंधी और बारिश होने से 100 बिजली के खंभे टूट गए थे। शहर से लेकर गांवों तक की बिजली आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई। कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत करके बिजली आपूर्ति शुरू कराई। शुक्रवार को फिर बारिश और आंधी के चलते 50 बिजली के खंभे टूट गए। इससे बिजली गुल हो गई। जगतपुर विद्युत उपकेंद्र से जुड़े करीब 330 गांवों में गुरुवार की रात 10 बजे बिजली आई। शेष गांवों में 48 घंटे बाद भी बिजली नहीं पहुंची।
उमरी फीडर की इनकमिंग पैनल जल गया। इससे बिजली गुल है। इसी तरह डीह विद्युत उपकेंद्र निकले टाउन, बिरनवां फीडर आधा चल रहा है। 30 गांवों में 48 घंटे से बिजली नहीं आई। इसी तरह गदागंज विद्युत उपकेंद्र की बिजली रात में आधा घंटे के लिए आई। उसके बाद फिर बंद हो गई। दोपहर बाद तक बिजली आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। इसी तरह डलमऊ क्षेत्र के विद्युत उपकेंद्र कठगर से जुड़े गांवों की बिजली आपूर्ति भी बहाल नहीं हो पाई है।
बिजली आपूर्ति व्यवस्था पटरी पर नहीं लौटने की वजह से जलापूर्ति ठप है। ग्रामीण क्षेत्रों में 65 पानी की टंकियां लगी हैं। एक पानी की टंकी को भरने में करीब आठ से 10 घंटे का समय लगता है। दो दिन से बिजली नहीं आने की वजह से गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है। लोग हैंडपंप और कुओं का पानी भरकर पी रहे हैं।
किसानों ने बताया कि बिजली के बिना धान की नर्सरी डालने का काम बाधित है। दीनशाह गौरा ब्लॉक क्षेत्र के स्माइलमऊ गांव के रहने वाले रामअवध, डलमऊ के कंधरपुर रामसेवक वर्मा, राजापुर गांव निवासी राजाराम ने बताया कि धान की नर्सरी डालने भर की बारिश नहीं हुई है। नर्सरी डालने के लिए और पानी की जरूरत है, जो नलकूपों से पूरी हो सकती है। बिजली के बगैर नर्सरी का काम ठप है।