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अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। झांसी मेट्रो का प्रोजेक्ट बजट न होने से करीब एक साल से हवा में ही अटका है जबकि डीपीआर समेत अन्य तैयारियों में करीब 1.80 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने के लिए अब करीब 2600 करोड़ रुपये की जरूरत है। यह भारी-भरकम धनराशि का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। इस वजह से मेट्रो डीपीआर से बाहर नहीं आ सकी।

महानगर में सिटी ट्रांसपोर्ट सुविधा बढ़ाने को करीब तीन साल पहले मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था। प्रदेश सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद जेडीए ने तेजी दिखाते हुए राइट्स कंपनी को डीपीआर बनाने का काम सौंपा। राइट्स ने झांसी की भौगोलिक एवं आर्थिक स्थिति को देखते हुए यहां लाइट मेट्रो का प्रस्ताव किया था। इसके मुताबिक, महानगर में 20 किलोमीटर लंबे रूट पर लाइट मेट्रो दौड़नी थी। दो रूट भी तय किए गए। पहला रूट 12 किलोमीटर जबकि दूसरा आठ किलोमीटर लंबा तय हुआ। कंपनी ने इस पर 2600 करोड़ खर्च का अनुमान किया था लेकिन इसके बाद मामला फंस गया। अब पिछले करीब एक साल से इसका मामला फंसा हुआ है।

डीपीआर जस का तस है जबकि इस पर जेडीए करीब पौने दो करोड़ रुपये खर्च कर चुका। मेट्रो की उम्मीद धुंधली पड़ती देख अब अफसर भी इस बारे में कुछ बात करना नहीं चाहते हैं। जेडीए अफसरों का कहना है कि शासन का बजट मंजूर होने पर ही यह काम आगे बढ़ाया जा सकेगा।

बीडा एवं डिफेंस कॉरिडोर से उम्मीद

झांसी में बीडा एवं डिफेंस कॉरिडोर का काम आरंभ होने से मेट्रो प्रोजेक्ट के आगे बढ़ाए जाने की उम्मीद भी जताई जा रही है। बीडा अफसरों का कहना है कि आने वाले समय में महानगरीय परिवहन को तेज बनाना होगा। इसमें मेट्रो का योगदान सबसे अहम होगा। बीडा की बसावट आरंभ होने पर ही मेट्रो को काम आरंभ होने की उम्मीद जताई जा रही है।



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