
अफजाल अंसारी
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गाजीपुर जिला कारागार का बैरक नंबर दस अफजाल अंसारी का फिर ठिकाना बन गया है। इससे कई कहानियां भी जुड़ी हैं। ब्रिटिश हुकूमत में यह विश्राम स्थल था तो जरायम की दुनिया में यहीं से अंसारी बंधुओं का सिक्का चलता रहा, यह उनका पुराना ठिकाना है। कभी बैरक के पास स्थित चबूतरे पर मुख्तार अंसारी की चौपाल लगती थी तो सियासत से लेकर पूर्वांचल में अपराध का ताना-बाना भी यहीं तैयार होता था। गैंगस्टर एक्ट में सजा होने पर करीब 15-16 वर्ष बाद अफजाल अंसारी पुन: सजा काटने के लिए इसी बैरक में पहुंचे हैं।
माफिया मुख्तार अंसारी इसी बैरक में बंद था और उस दौर में यहीं से पूर्वांचल में अपराध से लेकर राजनीति तक हर पहलुओं का संचालन किया करता था। यहीं नहीं जेल में रहते हुए उसने 29 नवंबर 2005 को मुहम्मदाबाद के पूर्व विधायक सहित अन्य की निर्मम हत्या तक करवाई।
इस मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद 2006 में अफजाल अंसारी और एजाजुल हक को पुलिस ने जेल भेज दिया। इसी बैरक में दोनों भाई रहते थे। वर्ष 2008 में अफजाल अंसारी जमानत पर बाहर आए। 2010 में मुख्तार को जिला कारागार से लखनऊ जेल में शिफ्ट कर दिया गया। इधर, कृष्णानंद राय हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद 2019 में एजाजुल हक जेल से छूट गए।
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