Muzaffarnagar News | जनकपुरी, नई दिल्ली महाराजा सूरजमल स्मारक शिक्षा संस्थान के आगामी चुनावों को लेकर देशभर में सरगर्मी तेज हो गई है। यह चुनाव महज एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठित संस्था पर वर्चस्व की लड़ाई बन चुका है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में फैले 7,200 से अधिक सक्रिय सदस्यों के बीच इस चुनाव ने जबरदस्त हलचल मचा दी है।

चुनाव के केंद्र में मुजफ्फरनगर और शामली

2 मार्च को नई दिल्ली के जनकपुरी में होने वाले मतदान से पहले राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने मुजफ्फरनगर पहुंचकर भाजपा खेमे के उम्मीदवारों के समर्थन में जनसंपर्क अभियान छेड़ दिया है। उन्होंने मुजफ्फरनगर, बिजनौर, सहारनपुर और शामली के संस्थान सदस्यों से मुलाकात कर अपने पक्ष में मतदान की अपील की।

इससे पहले, संस्थान के वर्तमान अध्यक्ष कप्तान सिंह के समर्थकों ने भी एक रणनीतिक बैठक की थी। इस बैठक में लिंक रोड स्थित एक बैंक्वेट हॉल में समर्थकों ने आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीति पर चर्चा की। कप्तान सिंह गुट से मुजफ्फरनगर से विराज तोमर और योगेंद्र पाल वर्मा, जबकि शामली से उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। दूसरी ओर, भाजपा खेमे ने मुजफ्फरनगर से हरीश अहलावत और शामली से हरेंद्र सिंह ताना को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए गरमाई सियासत

चुनाव से पहले सबसे बड़ी चर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए हो रही है। भाजपा गुट की ओर से नरेश चहल का नाम तेजी से उभर रहा है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि भाजपा इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रही है, ताकि संस्था पर अपना प्रभाव कायम किया जा सके।

भूपेंद्र चौधरी ने कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए कहा,
“संस्था का विकास और समाज की बेहतरी के लिए परिवर्तन आवश्यक है। यह चुनाव सिर्फ नाम मात्र का नहीं, बल्कि संस्था की दिशा और दशा तय करने वाला होगा।”

भाजपा बनाम कप्तान सिंह गुट: कौन मारेगा बाजी?

संस्थान के चुनाव में अब सीधा मुकाबला भाजपा समर्थित गुट और वर्तमान अध्यक्ष कप्तान सिंह के खेमे के बीच दिख रहा है। पिछले कुछ वर्षों में संस्थान की कार्यप्रणाली को लेकर कई बार असंतोष जताया गया है, जिससे भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है।

मुजफ्फरनगर में संस्था के 169 सदस्य, जबकि शामली में 160 सदस्य हैं। ये संख्या इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाली है। भाजपा ने पूरी तरह से चुनावी मोड में आकर इस मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।

राजनीतिक गठजोड़ और समीकरणों की गणना

चुनाव को लेकर भाजपा की रणनीति सिर्फ अपने सदस्यों को साधने तक सीमित नहीं है, बल्कि पार्टी अन्य संगठनों और दलों के पदाधिकारियों से भी समर्थन जुटाने में लगी हुई है। इसी कड़ी में भूपेंद्र चौधरी ने डाक बंगले पर भाजपा और रालोद नेताओं के साथ बैठक कर सहयोग की अपील की।

इस दौरान बैठक में मौजूद रहे प्रमुख नेता:

  • संजीव बालियान (पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री)
  • मांगेराम चौधरी (सहारनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष)
  • सतेंद्र सिसौदिया (क्षेत्रीय भाजपा अध्यक्ष)
  • वीरपाल निर्वाल (जिला पंचायत अध्यक्ष, भाजपा)
  • संदीप मलिक (रालोद जिलाध्यक्ष)
  • वंदना वर्मा (भाजपा नेत्री, एमएलसी)
  • सुधीर सैनी (भाजपा जिलाध्यक्ष)
  • उमेश मलिक (पूर्व विधायक, भाजपा)
  • तेजेंद्र निर्वाल (पूर्व विधायक, शामली)

संस्थान की कार्यकारिणी का महत्व और भविष्य की रूपरेखा

2 मार्च को होने वाले मतदान में कार्यकारिणी के 21 सदस्य चुने जाएंगे, जो आगे चलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। ऐसे में यह चुनाव सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि संस्था की नीति-निर्धारण और भविष्य की दिशा तय करने वाला महत्वपूर्ण पड़ाव है।

संस्थान के चुनाव में भाजपा के सक्रिय दखल से यह चुनाव एक राजनीतिक अखाड़ा बन गया है, जिसमें हर पक्ष अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है।

क्या भाजपा बना पाएगी पकड़, या कप्तान सिंह गुट करेगा वापसी?

भाजपा इस चुनाव में हर हाल में अपनी रणनीति के तहत संस्था पर पकड़ बनाना चाहती है, लेकिन कप्तान सिंह गुट भी कमजोर नहीं है। पिछले कार्यकाल में उनके समर्थकों ने संस्थान में कई अहम फैसले लिए हैं, जिनका असर इस चुनाव पर भी पड़ सकता है।

अब देखना यह होगा कि क्या भाजपा अपने समर्थन से संस्था में बदलाव ला पाती है, या फिर कप्तान सिंह गुट अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल होता है। 2 मार्च को मतदान के नतीजे ही इस गरमाए चुनावी माहौल का फैसला करेंगे।



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