भीषण गर्मी से जूझ रहे Muzaffarnagar के लोगों को जब आखिरकार तेज बारिश का इंतजार खत्म हुआ, तो राहत की बजाय मुसीबत उनके सिर चढ़कर बोलने लगी। शहर के मुख्य चौराहों में से एक शिव चौक पूरी तरह से जलमग्न हो गया। हालात ऐसे बन गए कि सड़कें गायब हो गईं और पूरा क्षेत्र एक अस्थायी झील में तब्दील हो गया। बारिश की वजह से सड़कें नदियों जैसी बहने लगीं और आम लोगों को अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
शिव चौक पर बर्बादी का मंजर: जलभराव से जनजीवन अस्त-व्यस्त
शिव चौक, जो शहर का एक प्रमुख व्यापारिक और यातायात केंद्र है, वहां जलभराव का जो हाल देखने को मिला, उसने नगर पालिका की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिए। दुकानदारों के अनुसार, उन्हें अपनी दुकानों में पानी घुसने से रोकने के लिए बाल्टियों और बोरियों का सहारा लेना पड़ा। कई दुकानों का सामान खराब हो गया और ग्राहकों की आवाजाही भी थम गई।
राहगीरों को गंदे पानी और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ा, जिससे कई लोग फिसल कर घायल भी हुए। स्थानीय लोग प्रशासन पर बेहद नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि, “हर साल साफ-सफाई और नाले की सफाई के वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत तो पहली बारिश में ही बाहर आ जाती है।“
नगर पालिका के खोखले दावों की पोल खुली
नगरपालिका द्वारा हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर नालों की सफाई के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, परंतु सच्चाई एक बार फिर से सामने आ गई है। शिव चौक जैसे वीआईपी इलाके में भी जब जलभराव इस कदर हो गया है, तो सोचिए बाकी क्षेत्रों की क्या स्थिति होगी।
स्थानीय निवासी रमेश अग्रवाल ने बताया, “हर साल यही हाल होता है। नगरपालिका के अफसर बस बैठकों और कागजों में सफाई दिखा देते हैं, लेकिन मैदान में उतरने की कोई जहमत नहीं उठाते।“
बारिश बनी रहमत भी और आफत भी
तेज गर्मी और उमस से परेशान लोगों को जैसे ही बारिश की फुहारें मिलीं, थोड़ी राहत महसूस हुई। लेकिन यह राहत ज्यादा देर टिक नहीं पाई, क्योंकि कुछ ही घंटों की बारिश ने शहर के ड्रेनेज सिस्टम की कमजोरी को सामने लाकर रख दिया।
शहर के अन्य हिस्सों जैसे कि तहसील रोड, रामपुर तिराहा, नई मंडी, और सिविल लाइन क्षेत्रों में भी जगह-जगह पानी भर गया। कई जगह वाहन चालकों को सड़क पर घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा।
जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी, कोई ठोस कार्रवाई नहीं
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी। ना तो मौके पर कोई नगर पालिका अधिकारी नजर आया, ना ही राहत-बचाव कार्य के लिए कोई टीम।
सवाल यह उठता है कि क्या नगर निगम सिर्फ बारिश के बाद बयानबाज़ी करने और फोटोज खिंचवाने तक ही सीमित रह गया है? क्या जनता हर साल ऐसे ही जलभराव से जूझती रहेगी?
मुजफ्फरनगर की जनता को कब मिलेगी जलजमाव से मुक्ति?
नगर पालिका की निष्क्रियता और लापरवाह रवैये के कारण हर साल लोग ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। नाले की सफाई सिर्फ कागजों में होती है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
स्थानीय समाजसेवी संजय चौधरी कहते हैं, “अब वक्त आ गया है कि जनता को इन अफसरों से जवाब मांगना होगा। हमें सिर्फ चुनाव के समय नहीं, हर मौसम में उनकी जवाबदेही तय करनी चाहिए।“
साल दर साल दोहराई जा रही कहानी
यह पहली बार नहीं है जब शिव चौक या अन्य मुख्य स्थानों पर जलभराव हुआ हो। हर साल बारिश के साथ यही समस्या सामने आती है, लेकिन समाधान के नाम पर सिर्फ बयान और वादे मिलते हैं।
विकास की पोल खोलती बारिश हर बार सरकार और प्रशासन को आईना दिखाती है, लेकिन कोई भी इससे सीख लेने को तैयार नहीं दिखता।
दुकानदारों को लाखों का नुकसान, फुटपाथ व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित
दुकानदारों ने बताया कि जलभराव के कारण उन्हें एक ही दिन में हजारों से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले छोटे व्यापारी तो पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं।
एक सब्जी विक्रेता रोहित ने बताया, “पानी में मेरी पूरी सब्जी की दुकान बह गई। न खाने को कुछ बचा, न बेचने को। प्रशासन से तो कोई उम्मीद नहीं रही अब।“
क्या होगा समाधान? जनता को नगर पालिका से जवाब चाहिए
अब सवाल यह है कि क्या नगर पालिका इस बार कुछ ठोस कदम उठाएगी या फिर जनता को हर साल इसी जलभराव की पीड़ा झेलनी पड़ेगी? शहर की जनता अब ‘सिर्फ घोषणा नहीं, कार्रवाई चाहिए’ के नारे के साथ प्रशासन को जगाने का काम कर रही है।
जन प्रतिनिधियों की भूमिका पर उठे सवाल
स्थानीय विधायक और पार्षदों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कई स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश के समय ये नेता पूरी तरह गायब हो जाते हैं और समस्या के समय जनता को अकेले छोड़ देते हैं।
लोगों ने मांग की है कि आने वाले दिनों में नगर निगम को जवाबदेह बनाने के लिए सख्त कानून और कार्रवाई की जरूरत है।
नगर पालिका का जवाब टालमटोल भरा, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ निरीक्षण
नगर पालिका के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जलभराव की समस्या पर हम नजर रखे हुए हैं और जल्द ही निरीक्षण किया जाएगा।” लेकिन निरीक्षण कब और कैसे होगा, इसकी कोई ठोस योजना नहीं बताई गई।
अब क्या? शहर को चाहिए स्थायी समाधान, नहीं तो हर साल बहती रहेंगी उम्मीदें