गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान संजय पुत्र लालचंद (निवासी प्रयागराज), अंशू यादव पुत्र विनय यादव (निवासी कानपुर नगर) और समीर पुत्र रामशंकर श्रीवास्तव (निवासी रायबरेली) के रूप में हुई है। पुलिस ने इन पर मु0अ0सं0 85/2024 धारा 318(4), 316(2), 338 बीएनएस, 61(2) व 111 बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।
कैसे करता था यह गैंग धोखाधड़ी?
यह गिरोह बेहद शातिर तरीके से काम करता था। पहले ये लोग फर्जी नामों से कंपनियां रजिस्टर करवाते थे और फिर उनके जरिए बैंक खाते, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और अन्य वित्तीय साधन प्राप्त कर लेते थे। इन खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी, पैसों की हेराफेरी और साइबर अपराधों में किया जाता था।
सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों ने कई राज्यों में इस तरह की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। ये गिरोह ऑनलाइन पेमेंट गेटवे और फर्जी ट्रांजैक्शन के माध्यम से भोले-भाले लोगों से पैसा ऐंठने का काम करता था। इनके पास से बरामद किए गए गूगल पे बारकोड से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये डिजिटल पेमेंट सिस्टम का भी गलत इस्तेमाल कर रहे थे।
पुलिस ने कैसे पकड़ा गिरोह को?
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार नगर पुलिस अधीक्षक और क्षेत्राधिकारी नगर की निगरानी में थाना खालापार पुलिस ने इस गैंग को ट्रैक किया। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने जाल बिछाया और इन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के दौरान इनके पास से मुश्किल से मिलने वाले दस्तावेज, कई बैंकिंग उपकरण और संदिग्ध डिजिटल लेनदेन से जुड़े सबूत मिले। पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है और इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों को पकड़ने की कोशिश में लगी है।
अंतरराज्यीय गिरोह से जुड़े होने की आशंका
पुलिस को शक है कि यह गिरोह केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका जाल बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र तक फैला हुआ हो सकता है। जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी फर्जी पहचान पत्र और पैन कार्ड के जरिए कई बैंक खातों का संचालन कर रहे थे, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर अपराधों में किया जा रहा था।
इसके अलावा, पुलिस को संदेह है कि इस गिरोह के तार ऑनलाइन ठगी, क्रिप्टोकरंसी धोखाधड़ी और अन्य आर्थिक अपराधों से भी जुड़े हो सकते हैं।
बरामद दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत
गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से जो सामान बरामद किया गया है, वह इस बात का सबूत है कि यह कोई साधारण धोखाधड़ी का मामला नहीं है, बल्कि एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। बरामद सामग्रियों में शामिल हैं:
✔ 05 डेबिट कार्ड – अलग-अलग बैंकों के नाम पर बने थे।
✔ 02 बारकोड गूगल पे – जिनका इस्तेमाल संदिग्ध लेनदेन में किया जाता था।
✔ 03 आधार कार्ड और 04 पैन कार्ड – फर्जी नामों से बनाए गए थे।
✔ 01 पासपोर्ट और 01 पहचान पत्र – संभवतः अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में उपयोग किए जाते थे।
✔ 02 ब्लैंक चेक और 04 चेकबुक – बैंकिंग धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।
✔ 04 मोबाइल फोन – जिनमें कई डिजिटल ट्रांजैक्शन के सबूत मौजूद हैं।
क्या कहती है पुलिस?
खालापार थाना प्रभारी लोकेश कुमार गौतम ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी साइबर अपराधियों और वित्तीय घोटालों में माहिर हैं। इनके पास से बरामद मोबाइल और डिजिटल दस्तावेजों की जांच की जा रही है ताकि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों को भी पकड़ा जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि इस गैंग के खिलाफ कई अन्य राज्यों में भी केस दर्ज हो सकते हैं और पुलिस इस मामले में जल्द ही अन्य एजेंसियों से भी संपर्क करेगी।
आगे की कार्रवाई?
पुलिस अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। मुख्य फोकस इन बैंकों और वित्तीय संस्थानों की पहचान करने पर है, जहां पर यह फर्जीवाड़ा किया गया। इसके अलावा, पुलिस यह भी देख रही है कि क्या ये आरोपी किसी बड़े आर्थिक अपराधी या साइबर माफिया से जुड़े हैं।
इस पूरे मामले के खुलासे के बाद अब अन्य जिलों की पुलिस भी अलर्ट हो गई है और ऐसे फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए अभियान तेज कर दिया गया है।