मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar News) जैन कन्या पाठशाला स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुजफ्फरनगर में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हिंदी ,संस्कृत एवं अंग्रेजी विभाग तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में हुआ, जिसका विषय चरित्र एवं व्यक्तित्व निर्माण में साहित्य और आध्यात्म की भूमिका था। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि श्रद्धेय श्री दंडी स्वामी महादेव आश्रम महाराज ,प्राचार्य प्रोफेसर सीमा जैन , कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर मनीषा अग्रवाल एवं डॉक्टर सविता वशिष्ठ द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

सेमिनार का आयोजन हाइब्रिड मोड अर्थात ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया गया , कुलपति प्रोफेसर एच एस सिंह (माँ) शाकंभरी विश्वविद्यालय ) तथा विशिष्ट अतिथि के रूप स्मृति सारस्वत ,असिस्टेंट प्रोफेसर आर्किटेक्चर और योजना विभाग आईआईटी रुड़की ने कार्यक्रम का गौरव बढ़ाया । प्रमुख वक्ता के रूप में जगराम , (प्रांत संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ) देशराज शर्मा (राष्ट्रीय संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास )प्रोफेसर कैरोलाइन हेंसिंग (एमेरिटस इंडस्ट्रियल एवं मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम इंजीनियरिंग) प्रोफेसर राम शर्मा (प्राचार्य श्री सुदृष्टि बाबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया ) प्रोफेसर रीता निगम (संयोजिका चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास ) ने अपने विचार प्रस्तुत किए ।

सेमिनार के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि श्रद्धेय श्री दंडी स्वामी महादेव आश्रम जी महाराज शुक्रताल एवं खड़गपुर संबोधित करते हुए कहा कि अनेक संतों एवं महापुरुषों नेभारतीय शिक्षा पद्धति में अपना अतुल्यनीय योगदान दिया है।विद्यार्थियों का समग्र चारित्रिक विकास बिना आध्यात्म के संभव ही नहीं है ।अंतर्राष्ट्रीय वक्ता प्रोफेसर कैरोलाइन हेसिग ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा की शिक्षा और आध्यात्मिक का गहरा संबंध है एवं व्यवहारिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक है

प्रोफेसर राम शर्मा ने कहा कि भारतीय साहित्य प्राचीन काल से गुरुकुल पद्धति के द्वारा विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण पर बल देता रहा है । प्रोफेसर जगराम सिंह ने कहा के एक स्वस्थ एवं संपूर्ण विकसित मस्तिष्क राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकता है और इसके लिए शिक्षा को आध्यात्मिक एवं नैतिकता पर बल देना चाहिए

असिस्टेंट प्रोफेसर स्मृति सारस्वत ने कहा कि हमारे देश में संतों एवं महापुरुषों के विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में अतुल्यनीय योगदान को नकारा नहीं जा सकता प्रोफेसर रीता निगमनिगम ने विद्यार्थियों के चरित्र निर्माणकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहाकी व्यवहारिक शिक्षा के साथ-साथआध्यात्मिक शिक्षा भी अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्रम की द्वितीय सत्र मेंप्राध्यापक को और शोधार्थियों के द्वाराअपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गए ।

महाविद्यालय प्रबंध समिती के अध्यक्ष राजेश जैन और सचिव संजय जैन के द्वारा वर्चुअल माध्यम से शुभकामनाएं प्रेषित गई ।प्रबंध समिति के सदस्य नीरज जैन ने भी सेमिनार के आयोजकों को शुभकामनाएं दी। प्राचार्या प्रो० सीमा जैन ने सभी सम्मानित अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन सयोजिका डॉक्टर मनीषा अग्रवाल और डॉक्टर सविता वशिष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया ।कार्यक्रम में महाविद्यालय की सभी शिक्षिकाओं का सहयोग रहा । कार्यक्रम मे प्रोफेसर वंदना वर्मा, प्रोफेसर संतोष कुमारीघ् डॉ पूनम शर्मा, डा वर्चसा सैनी ,डॉक्टर वंदना शर्मा, अंजली शर्मा इत्यादि प्रमुख से उपस्थित रहीं।



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