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गुरूद्वारा स्थित पार्क में हिंदू आबादी में बने कब्रिस्तान को लेकर ज्ञापन देते भाजपा कार्यकर्ता – फोटो : संवाद
विस्तार
अलीगढ़ जिले में वक्फ संपत्तियों को लेकर घमासान मचा है। शासन के निर्देश पर हुई जांच के बाद हुए खुलासे में शहर के कई घने हिंदू आबादी क्षेत्र कब्रिस्तान में दर्ज मिले हैं। इसे लेकर हिंदू समाज के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। 21 फरवरी को नगला तार घनश्यामपुरी क्षेत्र के लोग पार्क में एकत्र हुए और उन्होंने उस क्षेत्र को वक्फ के रिकॉर्ड में कब्रिस्तान में दर्ज होने का विरोध किया और एसीएम को संबोधित ज्ञापन पुलिस को सौंपा। उधर, मुस्लिम धर्मगुरु ने कब्रिस्तान में दर्ज जमीनों की जांच गंभीरता से करने की मांग प्रशासन से की है।
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शासन ने प्रदेशभर में वक्फ में दर्ज जमीनों की जांच कराई थी, जिनमें अलीगढ़ में 1768 वक्फ संपत्तियों की जांच में 1216 संपत्तियां सरकारी मिली थीं। कोल तहसील क्षेत्र में 245 सरकारी जमीनें मिली थीं। इनमें 95 फीसदी जमीनें कब्रिस्तान में दर्ज हैं। जांच रिपोर्ट के अनुसार नगला तार घनश्यामपुरी क्षेत्र कब्रिस्तान में दर्ज है, जबकि मौके पर आबादी है और पार्क बना है।
यह मामला अमर उजाला में प्रकाशित होने के बाद इस क्षेत्र के लोग पार्क में एकत्र हो गए और हिंदू आबादी क्षेत्र कब्रिस्तान में दर्ज होने का विरोध किया। सूचना मिलने पर थाना सिविल लाइन पुलिस मौके पर पहुंच गई। स्थानीय निवासी शिवम शर्मा के नेतृत्व में एकत्र हुए लोेगों ने कहा कि इस क्षेत्र में कभी मुस्लिम आबादी नहीं रही न ही यहां कोई कब्रिस्तान था तो वक्फ के रिकॉर्ड में इस क्षेत्र में कब्रिस्तान कैसे दर्ज हो गया। इसकी जांच की जानी चाहिए। लोगों ने एसीएम द्वितीय को संबोधित ज्ञापन पुलिस को सौंपा।
उधर, मुस्लिम धर्मगुरु एवं भारतीय समाज सेवक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी इफराहीम हुसैन ने डीएम को ज्ञापन भेजकर वक्फ में दर्ज सरकारी संपत्तियों की जांच में मुस्लिम पक्ष को सुनवाई का अवसर देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज है तो जमीन सरकारी कैसे हुई और यदि जमीन सरकारी है तो कब्रिस्तान दर्ज कैसे हुआ। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। काफी सरकारी जमीनें ऐसी हैं जिन पर लोगों ने अवैध कब्जे किए हैं। ऐसी जमीनों की भी जांच होनी चाहिए।