अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। शहर के दो फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन का टेंडर नगर निगम ने एक फर्म को दिया है। मगर इससे निगम को कोई आय तो दूर उल्टा हर महीने 4.60 लाख रुपये का व्यय करना पड़ रहा है। जबकि, सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए निगम ने ही खुद की मशीनें और प्लांट बनाकर दिया है। हर टैंक की सफाई करने पर भी फर्म फीस लेती है।

बिजौली में नगर निगम के छह और 12 केएलडी (किलो लीटर प्रति दिवस) क्षमता वाले फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) बने हुए हैं। इंदौर की एक कंपनी को इनका टेंडर मिला है। एक प्लांट के संचालन के लिए फर्म को 2.60 लाख और दूसरे के लिए दो लाख रुपये महीने निगम भुगतान करता है। नगर निगम ने कंपनी को खुद की शकर मशीनें दे रखी हैं। इसके अलावा एफएसटीपी भी निगम द्वारा ही बनवाया गया है। कंपनी द्वारा जहां से मशीन के जरिए सेप्टिक टैंक खाली करवाया जाता है, वहां से 1500 रुपये फीस भी ली जाती है। यही नहीं, एफएसटीपी में वेस्ट से जो खाद बनती है, उसकी बिक्री भी फर्म द्वारा 32 पैसे प्रति किलो की दर से की जाती है। इस प्लांट का टेंडर उठाने के बाद से नगर निगम को कोई आय नहीं हो रही है। टेंडर को लेकर पार्षद कन्हैया कपूर और पार्षद अंकित सहारिया ने भी सवाल उठाए हैं। वहीं, इस मामले में नगर आयुक्त सत्य प्रकाश का कहना है कि प्लांट के संचालन से लेकर सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। सफाई की फीस बतौर परिवहन फर्म लेती है। फिर भी टेंडर शर्तों की समीक्षा की जाएगी। निगम पर कम से कम भार पड़े, इसको लेकर अगर शर्तों में कुछ बदलाव किया जा सकता है, तो जरूर करेंगे।



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