
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
प्रदेश में जिस गति से पारा चढ़ रहा है उसी गति से बिजली की मांग बढ़ने लगी है। छह दिन में करीब पांच हजार मेगावाट की मांग बढ़ी है। शनिवार को यह करीब 19680 मेगावाट से अधिक हो गई, जबकि उत्पादन करीब 19500 मेगावाट है। ऐसे में पॉवर कारपोरेशन ने सभी उत्पादन इकाइयों को अलर्ट कर दिया है। अगले सप्ताह तक पारे में बढ़ोतरी होती रही तो यह मांग 23 हजार तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में मई के लिए 24 हजार मेगावाट आपूर्ति का लक्ष्य मांन कर तैयारी चल रही है। जून तक यह अधिकमत 26 से 27 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती है। इसके लिए सभी निगमों को निर्देश दिया गया है।
प्रदेश में बारिश होने के बाद एक मई को तापमान 30 डिग्री था तो बिजली की अधिकतम मांग 14675 मेगावाट थी। छह मई को तापमान बढ़कर 35 डिग्री सेल्सियस पहुंचा तो बिजली मांग 19680 मेगावाट पर पहुंच गई। अगले कुछ दिनों में पारा बढ़कर 40 डिग्री तक पहुंच सकता है। ऐसे में बिजली की मांग भी बढ़ना तय है। इसे देखते हुए पॉवर कारपोरेशन ने सभी निगमों को संभावित मांग के अनुसार तैयारी करने का निर्देश दिया है। उत्पादन इकाइयों को भी अलर्ट किया गया है।
उत्पादन की स्थिति देखें तो अभी तक अधिकतम 16303 मेगावाट तक है। इसमें राज्य विद्युत उत्पादन निगम से 3077 मेगावाट, केंद्र से 7258 मेगावाट, निर्धारित आयात 4362 मेगावाट, बैकिंग पॉवर से 2420 मेगावाट, एनर्जी एक्सचेंज से 398, जल विद्युत गृह से 180 मेगावाट, को जनरेशन से 300 मेगावाट, बारा, मेजा व अनपरा को मिलाकर 4620 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। गर्मी के दिनों में बिजली कटौती से न जूझना पड़े, इसके लिए उत्पादन बढ़ाने और बिजली खरीद का ग्राफ बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है।
विभिन्न इकाइयों की बंद यूनिटों को चालू करने का निर्देश दिया गया है। ओबरा में 670 मेगावाट की एक नई इकाई शुरू हो गई है तो जवाहरपुर में 660 मेगावाट की इकाई का ट्रायल चल रहा है। ओबरा में एक अन्य यूनिट को भी शुरू करने की तैयारी चल रही है। इसी तरह अनपरा में बंद दो यूनिटों को शुरू करने की तैयारी चल रही है। ऐसे में पॉवर कारपोरेशन की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किया जाए। एक्सचेंज से आपात खरीद की दर कम से कम रखी जाए। क्योंकि, यह दर सामान्य दिनों की अपेक्षा महंगी पड़ती है।
दिन प्रतिदिन बढ़ी डिमांड
- 1 मई 14675 मेगावाट
- 2 मई 17670 मेगावाट
- 3 मई 15576 मेगावाट
- 4 मई 18061 मेगावाट
- 5 मई 19543 मेगावाट
- 6 मई 19680 मेगावाट
मांग बढ़ने पर ग्रामीण इलाके में कटौती
प्रदेश में बिजली मांग करने पर उत्पादन और मांग के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए ग्रामीण इलाके में कटौती बढ़ा दी जाती है। प्रदेश में ग्रामीण इलाके में 18 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा है, लेकिन मांग बढ़ी तो शुक्रवार और शनिवार को आपूर्ति घटाकर 17.51 घंटे कर दिया गया। इसी तरह नगर पंचायतों व तहसील मुख्यालय को 21.30 घंटे, जिला मुख्यालय, मंडल मुख्यालय, महानगर एवं औद्योगिक क्षेत्र को 24 घंटे और बुंदेलखंड को 20 घंटे बिजली आपूर्ति करने का दावा है।
बिजली बैंक से मिलेगा तीन हजार मेगावाट
पावर कारपोरेशन को बिजली बैंक से चार माह में करीब तीन हजार मेगावाट बिजली मिलेगी। यह बिजली मई, जून, जुलाई अगस्त में जरूरत के मुताबिक हासिल की जाएगी। जब प्रदेश के पास बिजली ज्यादा उत्पादन होता है तो उसे बिजली बैंक में दिया गया है।
पिछले वर्ष की स्थिति
पिछले वर्ष एक मई को तापमान 37.78 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। इसके बाद बारिश होने से तापमान कम हुआ था और बिजली की मांग भी कम हुई थी। ऐसे में एक मई को बिजली की मांग 23 हजार मेगावाट तक पहुंची थी। उस समय उपलब्धता करीब 19500 मेगावाट तक थी। राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने 4300 मेगावाट बिजली पैदा किया था, जबकि निजी क्षेत्र से 6200 मेगावाट और केद्र से 8500 मेगावाट बिजली मिली थी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
उपभोक्ताओं को बिजली संकट से जूझना नहीं पड़ेगा। इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। निर्धारित कार्यक्रम के तहत गर्मी में भी उपभोक्ताओं को बिजली मिलती रहेंगी। जिस गति से मांग बढ़ रही है उसी गति से उत्पादन भी बढ़ रहा है।
-एम देवराज, अध्यक्ष यूपीपीसीएल