
कांटेदार लगाम
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मासूम हूं, बेजुबान हूं, लेकिन पत्थर हीं हूं मैं, दर्द मुझको भी होता है जुल्मों से तेरे, बस कुछ बोल सकता नहीं हूं मैं, क्योंकि बेजुबान हूं मैं। शायर की यह दो लाइनें उन बेजुबान घोड़ों के दर्द को बयान करती है, जिनके मुंह पर कांटेदार लगाम लगाई जा रही थी। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया (पेटा) की टीम ने पुलिस के सहयोग से ताजमहल के आसपास क्षेत्रों में अभियान चलाकर करीब 170 कांटेदार लगाम जब्त की।