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Sewerage treatment plant and pumping station will be constructed with Rs 18.64 crore

नगर का गंदा पानी नाले से आता हुआ।
– फोटो : संवाद

उरई। कालपी नगर की 90 हजार आबादी की गंदगी, सीवर का पानी और 60 फैक्टरियों का मलबा अब यमुना में सीधे नहीं जाएगा। इसे रोककर ट्रीटमेंट किया जाएगा। गंदे पानी को शुद्ध कर खेती में इस्तेमाल किया जाएगा और निकली हुई गंदगी से खाद बनाई जाएगी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत एसबीएम योजना पार्ट-2 में सीवरेज योजना को शासन से हरी झंडी मिल चुकी है।

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कालपी नगर के नालों के माध्यम से जो गंदगी सीधे यमुना में पहुंच रही है, अब उसे रोकने के प्रयास शुरू हो गए हैं। इससे यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सके। सीवरेज प्लांट के लिए नगर पालिका और जल निगम पिछले कई सालों से प्रयासरत थे, लेकिन कमजोर प्रस्ताव और अन्य कमियों के चलते बजट पास नहीं हो पा रहा था। 2020 से शुरू इस योजना को अब जाकर मंजूरी मिली है। 18.64 करोड़ रुपये के बजट से जल निगम पांच एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और पंपिंग स्टेशन बनाएगा। जल निगम शहरी के एई मनोज कुमार ने कहा कि शासन को सीवरेज योजना के तहत प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे मंजूरी मिल चुकी है। बजट भी स्वीकृत हो गया है। जल्द ही काम शुरू होगा, जिससे यमुना को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा।

कैसे होगी गंदगी साफ

नगर के नालों को डेढ़ किलोमीटर लंबी सीवर लाइन से प्लांट को जोड़ा जाएगा। पहले गंदगी पंपिंग स्टेशन पहुंचेगी, जहां से इसे ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। यमुना किनारे प्लांट लगाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए तहसील के पास जगह चिन्हित की गई है, जहां कर्मचारियों के रहने की व्यवस्था भी की जाएगी।

तैयार प्लांट नगर पालिका को सौंपा जाएगा

जल निगम के अधिकारियों ने बताया कि प्लांट निर्माण और संचालन शुरू होने के बाद इसे नगर पालिका को सौंप दिया जाएगा। ट्रीटमेंट से निकले पानी का उपयोग खेती और अन्य कार्यों में किया जाएगा। घरों से निकलने वाली सीवर गंदगी को खाद में बदला जाएगा, जो केमिकल खाद से बेहतर और सस्ती होगी। यदि पालिका ने सही संचालन किया, तो राजस्व में वृद्धि के साथ-साथ यमुना को स्वच्छ बनाए रखा जा सकेगा।

इन इलाकों की गंदगी सीधे यमुना में जाती है

फैक्टरियों की गंदगी के अलावा अदल सराय, जुलेहटी, मिर्जामंडी और कागजीपुरा जैसे मोहल्लों की सीवर गंदगी नालियों और खाली प्लॉटों में भरकर यमुना में पहुंचती है। अब इस समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है। एनजीटी ने कई बार नगर पालिका को नगर की गंदगी रोकने के निर्देश दिए। लाखों रुपये खर्च कर बाई घाट और तरीबुल्दा में संयंत्र लगाए गए, लेकिन उनका कोई लाभ नहीं हुआ। गंदगी इन संयंत्रों से ऊपर बहती रही, जिससे लाखों रुपये बर्बाद हो गए।



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