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अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) के जरिये बरुआसागर झील से गाद भी निकलेगी। यह गाद आसपास के ऊसर-बंजर खेतों की किस्मत भी बदलने का काम करेगी। झील से निकली गाद आसपास के खेतों में बिछाई जाएगी। सिंचाई अफसरों का कहना है इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने पर डीपीआर बनाने का काम शुरू होगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना तकनीकी समिति की बहुप्रतीक्षित बैठक शुक्रवार को होनी है। बैठक में खास तौर से बरुआसागर झील से गाद निकालने जाने समेत पारीछा बांध के गेट बदलने पर चर्चा होगी। इसके तमाम तकनीकी पहलुओं पर चर्चा होगी। सिंचाई अफसरों के मुताबिक अनुमान के मुताबिक झील से गाद निकालने पर ही कुल करीब 130 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। इसको मंजूरी मिलने पर दिसंबर तक में यह काम भी आरंभ होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह गाद बरुआसागर के पास खाली जमीन पर डाली जाएगी। बरुआसागर झील की पिछले कई दशक से सफाई नहीं हुई। इस वजह से उसमें काफी हद तक गाद भर चुकी है। ऐसे में पानी संग्रह क्षमता कम हो गई है। विशेषज्ञों ने झील को खाली कराने की जरूरत बताई। पारीछा बांध में सुधार के लिए पुराने गेट बदल कर इसे ऑटोमैटिक गेट में बदला जाना है। महोबा एवं झांसी में स्प्रिंकलर के जरिये सिंचाई प्रणाली विकसित की जानी है। मुख्य अभियंता देवेश शुक्ला के मुताबिक आगामी दो दिन में होने वाली बैठक में इस पर अंतिम निर्णय होने की उम्मीद है। बता दें, महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना के जरिए केन नदी को 221 किमी लंबी लिंक कैनाल के जरिये बरुआसागर झील तक लाया जाएगा। यहां से केन और बेतवा नदी को आपस में जोड़ा जाएगा।