संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। संभागीय परिवहन विभाग में परमिट के नाम पर जमकर वसूली के आरोप लगाए जा रहे हैं। आरोपों के मुताबिक, परमिट हासिल करने के लिए आवेदकों को दो से लेकर पांच हजार रुपये तक अदा करना पड़ता है। संभागीय परिवहन विभाग में आने वाले आवेदकों का आरोप है कि यह आरटीओ ऑफिस है। यहां हर काम के दाम तय हैं। कई बार शिकायतों के बाद भी व्यवस्था में काेई बदलाव नहीं किया गया है।
परमिट रिन्यूवल, परमिट ट्रांसफर, नए परमिट के लिए आवेदन सहित परमिट संबंधी अन्य कार्यों के लिए संभागीय परिवहन विभाग में आवेदन किया जाता है। परिवहन विभाग के रिकार्ड के मुताबिक, साल भर में 1341 परमिट जारी किए गए हैं। इसमें 1054 कांटेक्ट परमिट, 146 स्कूली परमिट, 611 गुड्स परमिट और 530 नेशनल परमिट जारी किए गए हैं। दस से अधिक परमिट लंबित हैं।
आवेदकों के आरोपों के मुताबिक प्रक्रिया के नाम पर आवेदकों से दो से पांच हजार रुपये तक वसूले जाते हैं। नए परमिट के लिए तो चार से पांच हजार रुपये सुविधा शुल्क के रूप में अदा करने के बाद ही परमिट जारी किया जाता। परिवहन कार्यालय में परमिट रिन्यूवल के लिए आए सुधीर मिश्रा ने आरोप लगाते हुए बताया कि परमिट रिन्यूवल के शुल्क के साथ ही अतिरिक्त रुपये अदा करना पड़ता है। न देने पर तमाम कमियां निकालकर परेशान किया जाता है। सुनील कुमार ने बताया की परिवहन विभाग तो भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा है। यहां हर काम के अतिरिक्त रुपये अदा करने पड़ते हैं। परमिट खिड़की पर तो बिना अतिरिक्त रुपये दिए कोई भी काम नहीं होता है।
वहीं, संतोष कुमार के मुताबिक परमिट विंडो शुल्क के साथ ही सुविधा शुल्क देने के बाद ही सुनवाई होती है। परिवहन विभाग के अफसराें को भी इसकी जानकारी है लेकिन अफसर कोई भी कार्रवाई नहीं करते हैं। संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) ने बताया कि परमिट खिड़की पर शुल्क के अतिरिक्त रुपये लेने की जानकारी नहीं है। इस संबंध में प्रकरण की जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने वाले कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।