{“_id”:”671a95b93d27f160250233a4″,”slug”:”there-is-a-fight-for-fertilizer-in-the-district-farmers-are-wandering-orai-news-c-224-1-ori1005-121396-2024-10-25″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Jalaun News: जिले में खाद के लिए मची मारामारी, भटक रहे किसान”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
उरई। जिले में रबी की फसल की बुवाई का समय जोरों पर है। लेकिन किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। हालत यह है कि बीस बोरी की जरूरत होने पर दो बोरी खाद भी नहीं मिल पा रही है। इससे किसान परेशान हैं।
उनका कहना है कि प्रति वर्ष उनके साथ ऐसा ही होता है। जिम्मेदार पहले से कोई प्लानिंग नहीं करते हैं। इससे इसका खामियाजा किसानों को हर वर्ष भुगतना पड़ता है। बताया कि समय से खाद न मिलने से बुआई लेट हो रही है। इससे फसल की पैदावार में असर पड़ेगा। वैसे ही वह खरीफ की फसल में पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं।
रबी की फसल की बुआई शुरू हो गई है। लेकिन किसानों को फसल बोने के लिए खाद की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। जिले की सहकारी समितियों में खाद न होने से किसान भटकने को मजबूर हैं। कई जगह संचालक ताला बंदकर चले गए हैं। जबकि कई जगहों पर डेशबोर्ड पर डीएपी निल लिख दिया गया है। इससे किसान बोर्ड देखकर ही मायूस होकर लौट रहे हैं।
डीएपी मिलती न देख किसान अधिक दामों में दुकानों से खाद को मजबूरी में खरीद रहे हैं। उनका कहना है कि खरीफ की फसल बर्बाद होने से उनकी हालत तो वैसे ही अच्छी नहीं है। ऊपर से समय से उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। अब रबी की फसल भी लेटे होती दिखाई दे रही है। किसानों का कहना है कि प्रतिवर्ष उनके साथ में ऐसा ही होता है। जिले में हालत ऐसे हैं कि किसी किसान को अगर बीस बोरी की आवश्कता है तो उसे केवल दो बोरी ही नसीब हो रही हैं।
पांच दिन से सोसाइटी में नहीं है खाद, किसान परेशान
मुहम्मदाबाद। डकोर ब्लॉक के दर्जनों गांव के किसान डीएपी खाद न मिलने से परेशान हो रहे हैं। इस समय बुआई का समय चल रहा है, इसलिए किसानों को खाद की जरूरत है, लेकिन डीएपी की किल्लत के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ब्लॉक के सहकारी समिति कुसमिलिया,डकोर व जैसारी समितियां में खाद न होने से किसानों परेशान हैं। किसान तारिक अली, बृजेश, रामेंद्र आदि ने बताया कि हम लोगों को सहकारी समिति पर खाद मिल जाती थी। जिसका पैसा नकद नहीं देना पड़ता था। खाद न मिलने से पहले तो पैसा कर्ज पर लेना पड़ रहा है, और खाद भी महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है। किसान राजू, रामपाल ने बताया कि एक सप्ताह से चक्कर लगा रहे हैं पर खाद नहीं मिल पा रही है। कुसमिलिया सहकारी समिति उर्वरक प्रभारी रामकुमार ने बताया कि समिति में 80 टन डीएपी 19 टन यूरिया आई थी, जो वितरण कर दी गई है। 18 अक्टूबर से खाद खत्म हो चुकी है, इससे किसान वापस जा रहे हैं।
केंद्रों पर खाद नहीं, परेशान घूम रहे किसान
कोंच। कोंच में केंद्रों पर डीएपी खाद नहीं है, इससे किसान खाद के लिए परेशान घूम रहे हैं। कृषक सेवा केंद्र मंडी पर 11 अक्टूबर को चार सौ बोरी की खेप आई थी, जो 14 अक्टूबर को केंद्र खुलने के बाद ही वितरित कर दी गई थी। उसके बाद से खाद नहीं आई है।
केंद्र प्रभारी कमलेश कुमार ने बताया कि उसके बाद से रोजाना ही डिमांड भेजी जा रही है। जुझारपुरा किसान सेवा सहकारी समिति लिमिटेड पर मंगलवार की शाम को डीएपी की गाड़ी आई थी और सुबह किसानों को बांट दी गई है। केंद्र प्रभारी राजेश शुक्ला ने बताया कि खाता धारकों को वितरित की जा रही है, खाद कम मिल रही है और डिमांड ज्यादा हो रही है। जिसके कारण सभी किसानों को खाद मिल पाना संभव नहीं हो पा रहा है। क्रय विक्रय पर 18 अक्टूबर से खाद नहीं है। केंद्र प्रभारी उषा तिवारी ने बताया कि डिमांड भेजी गई है।
11 समितियों में एक बोरी भी डीएपी नहीं
माधौगढ़। अधिकारियों की अनदेखी के चलते समितियों में डीएपी खाद के न होने से किसान आए दिन समिति के चक्कर लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि शीघ्र सरसों की बुआई नहीं की गई तो उत्पादन में गिरावट होगी। सरसों की बुआई 7 अक्तूबर से शुरू हो जाती हैं। बारिश के चलते खेत में पानी भर गया था। खेत सूखते ही किसानों ने बुआई के लिए खेत तैयार कर लिए हैं। लेकिन डीएपी खाद के न मिलने से सरसों,आलू की बुआई नहीं हो पा रही हैं। माधौगढ़ में 11 सहकारी समिति हैं। किसी भी समिति में डीएपी खाद नहीं हैं। क्रय विक्रय सहकारी समिति में यूरिया खाद बांटी जा रही हैं। एडीसीओ पीएन अनुरागी का कहना हैं कि डीएपी खाद शीघ्र ही समितियों में भेजी जा रही हैं। वहीं, सरावन प्रतिनिधि के अनुसार सरावन साधन सहकारी समिति व सहकारी संघ सरावन पर डीएपी खाद नहीं है। किसान प्राइवेट दुकानों से खाद खरीदने को मजबूर हैं। किसान सुरेंद्र सिंह, राजकुमार सिंह, अनिल कुमार, माता प्रसाद, गणेश कुमार, सरनाम सिंह आदि का कहना है कि सहकारी समितियों में उपलब्ध खाद की भी काला बाजारी की जा रही है। इससे उन्हें भटकना पड़ रहा है।
किसान ककहरा निवासी सालिकराम का कहना है प्राइवेट उरई शहर आकर महंगे दामों में खाद खरीदी पड़ रही है डीएपी 1560 की एनपी खाद जो 1350 लोकल बाजार में मिल रही है मजबूरी में किसान हम लोगों को लेना पड़ रहा है। किसान सुखवती का कहना है खाद दुकान की चक्कर रोज लगाना पड़ रहे हैं लेकिन यहां खाद नहीं आ रही है प्राइवेट में मिल रही है हम लोग छोटे किसान हैं खाद बीज के लिए पहले से ही उधार लेकर आना पड़ता है अगर खाद जल्दी नहीं मिली तो बुआई का समय निकल जाएगा।
वर्जन
दो दिन के अंदर रैक आ जाएगी। इसके बाद खाद की किल्लत खत्म हो जाएगी। किसी भी किसान को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। -विजय प्रकाश वर्मा, एआर कोऑपरेटिव