
पान मसाला(फाइल फोटो)
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पान मसाला और तंबाकू उद्योग की तिकड़म के सामने गणित के सारे फॉर्मूले फेल हैं। टैक्स चोरी की वजह से हमेशा जांच एजेंसियों की हिटलिस्ट में रहने वाले इस सेक्टर पर अंकुश लगाने के लिए अप्रैल में टैक्स का भार दोगुना कर दिया गया। इसके बावजूद पान मसाला और तंबाकू के पाउच पर महंगाई का कोई असर नहीं पड़ा है।
हैरत में पड़े (वस्तु एवं सेवा कर) जीएसटी और डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) के अधिकारी फिलहाल ”वेट एंड वाच” की स्थिति में हैं। इंतजार करो और देखो की। पान मसाला और तंबाकू पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके अलावा मसाले पर 32 फीसदी और तंबाकू पर 51 फीसदी सेस भी लिया जाता है।
अप्रैल से पहले दोनों टैक्स, मसाले के पाउच पर दर्ज कीमत के बजाय कंपनी द्वारा जारी बिल पर लगते थे। टैक्स बचाने के लिए कंपनियां 25 हजार के मसाले की कीमत महज 10 हजार रुपये दिखाकर इसी मूल्य पर टैक्स भर देती थीं। जीएसटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस नियम की आड़ में जमकर टैक्स चोरी की जा रही थी।
चूंकि किसी भी उत्पाद पर अधिकतम जीएसटी 28 फीसदी ही लगाया जा सकता है, जो मसाले और तंबाकू इंडस्ट्री से पहले ही लिया जा रहा था। इसलिए जीएसटी काउंसिल ने एक अप्रैल से बिल के बजाय फुटकर बिक्री मूल्य पर सेस लगा दिया। व्यवस्था में बदलाव का असर ये हुआ कि पांच रुपये वाले पान मसाले पर सेस लगभग 60 पैसे से बढ़कर 1.28 रुपये हो गया।