
राहुल गांधी और अखिलेश यादव।
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राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच एक सवाल अक्सर ही उठता है कि क्या सपा और कांग्रेस की दोस्ती लंबी चलेगी? या फिर पूर्व की तरह चुनाव होते ही गठबंधन बिखर जाएगा? इन सब चर्चाओं के बीच सपा और कांग्रेस लंबी दोस्ती के लिए रणनीति बना रहे हैं।
एक जून को दिल्ली में इंडिया के प्रमुख घटकों की बैठक होगी, जिसमें भविष्य की कार्ययोजना भी तैयार होगी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हुआ था। लेकिन, परिणाम आशा के अनुरूप नहीं आए। चुनाव होते ही यह गठबंधन तार-तार हो गया।
दोनों पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे पर खूब तीर चलाए। इसी तरह वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव सपा और बसपा ने मिलकर लड़ा। इस चुनाव में सपा को कुछ अधिक हासिल नहीं हुआ।
पिछले लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद दोनों पार्टियों के बीच शीत युद्ध प्रारंभ हो गया, जोकि इस समय चरम पर है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव दोनों एक-दूसरे पर शब्द-बाण चला रहे हैं। विगत इतिहास को देखते हुए यूपी में सपा और कांग्रेस के रिश्तों के भविष्य को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।