
प्रतीकात्मक तस्वीर।
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केस-1 : सुधाकर तिवारी डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विवि, अयोध्या से बीटेक कर रहे हैं। वर्ष 2022-23 में उन्होंने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया। विभाग के रिकॉर्ड में उनके खाते में 52200 रुपये गए हैं, लेकिन उनके बैंक खाते में कोई राशि नहीं गई है। सुधाकर ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में अर्जी भी दी है, पर उन्हें अभी तक कोई समाधान नहीं मिला है।
केस-2 : अंजुलिका सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, लखनऊ से बीकॉम कर रही हैं। छात्रवृत्ति पोर्टल पर उपलब्ध डाटा के अनुसार वर्ष 2022-23 में उनके खाते में 8600 रुपये गया, लेकिन उन्हें किसी तरह की कोई राशि अपने खाते में नहीं प्राप्त हुई। अंजुलिका भी अब विभागीय अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रही हैं।
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ये उदाहरण हैं छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में छात्रों के खातों में रिकॉर्ड राशि भेजने के दावों की। योजना के तहत तमाम छात्रों के खातों में राशि रिकॉर्ड में तो भेजी दिखा दी गई है, पर हकीकत में उनके खातों में कोई राशि नहीं गई है। ये छात्र अब भुगतान के लिए विभागों के चक्कर लगा रहे हैं, पर समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के छात्रों को ढाई लाख रुपये तक सालाना और अन्य वर्गों के लिए दो लाख रुपये तक सालाना आय होने पर छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई की सुविधा देती है। वित्त वर्ष 2022-23 में नमूने के तौर पर ये दो उदाहरण दिए गए हैं, लेकिन ऐसे तमाम केस हैं।
इन छात्रों को कोई यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि छात्रवृत्ति पोर्टल पर स्टेटस पेज दिखाए जाने के बावजूद उन्हें राशि क्यों नहीं मिली। वे जिलास्तरीय से लेकर संबंधित निदेशालयों के अधिकारियों को भी अपनी व्यथा सुना चुके हैं। इस मामले में अधिकारियों ने बताया कि ये मामले बैंक ट्रांजेक्शन फेल होने के हो सकते हैं, यानी धनराशि भेजी तो गई, पर किसी कारणवश उनके एकाउंट में नहीं पहुंच सकी।
इस तरह के कितने मामले होंगे, संबंधित अधिकारियों का कहना है कि पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंसिंग मैनेजमेंट सिस्टम ) से यह डाटा जुटाया जा रहा है। वहीं, समाज कल्याण विभाग के निदेशक पवन कुमार ने कहा है कि वे इस तरह के मामले दिखवाएंगे कि ऐसा क्यों हुआ।