
भारतीय रेल
– फोटो : शटरस्टॉक्स
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पूर्वोत्तर रेलवे के यात्रियों के लिए अगस्त से अक्तूबर तक का महीना मेगा ब्लॉक के चलते कष्टकारी रहा है। हालांकि, अगले साल से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ने से यात्रा सुखद होगी, लेकिन इस साल इन मेगा ब्लॉक ने पूर्वोत्तर रेलवे की गति को धीमा कर दिया है।
तीन प्रांतों में फैले पूर्वोत्तर रेलवे में इस साल दूसरी व तीसरी लाइन निर्माण के अलावा कहीं बाईपास तो कहीं यार्ड रिमाडलिंग का कार्य चल रहा है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन से हर दिन करीब 150 ट्रेन व 40 से अधिक मालगाड़ियां गुजरती हैं। अकेले गोरखपुर रेलवे स्टेशन से हर दिन करीब 90 हजार यात्री देश के विभिन्न हिस्सों में आते-जाते हैं। यात्रियों के इतने भारी दबाव के बीच लंबे-लंबे ब्लॉक ने ट्रेनों की रफ्तार रोक दी।
गोरखपुर कैंट को सेटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित करने तथा कैंट-कुस्मही तीसरी लाइन के नॉन इंटरलाकिंग व इंटर लाकिंग के चलते 07 से 30 अगस्त तक गोरखपुर-छपरा और गोरखपुर-वाल्मीकिनगर रूट की अधिकांश ट्रेनें निरस्त कर दी गईं। कुछ प्रमुख गाड़ियों को काशन पर चलाया गया।
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11 सितंबर को सीआरएस निरीक्षण के बाद स्थिति सामान्य होती, तब तक गोरखपुर-वाल्मीकिनगर रूट पर वाल्मीकिनगर स्टेशन के पास ब्लॉक के चलते ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो गया। अब भटनी-पिवकोल बाईपास लाइन के इंटरलाकिंग के चलते ट्रेनों का संचालन प्रभावित है।