
नकली दवा(सांकेतिक)
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प्रदेश में नकली दवा का कारोबार हवाला के जरिए चल रहा है। ऐसे में हर माह करोड़ों की टैक्स चोरी भी हो रही है। यह खुलासा पकड़े गए लोगों से पूछताछ के दौरान हुई है। ऐसे में मामले की पड़ताल में लगी एफएसडीए की टीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
प्रदेश में हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड से तैयार होने वाली नकली दवाओं का जाल फैला है। हालत यह है कि इस कारोबार की वजह से डॉक्टर भी परेशान हैं। क्योंकि मरीजों को दी गई दवा काम ही नहीं कर रही है। ऐसे में इस नेटवर्क को तोड़ने में लगी एसटीएफ व एफएसडीए की टीम को लगातार चौकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं।
पकड़े गए लोगों से हुई पूछताछ में यह बात सामने आई कि नकली दवा का यह कारोबार हवाला के जरिए चल रहा है। ज्यादातर माल बिना बिल बाउचर के जाता है। भुगतान के संबंध में भी कोई लिखापढ़ी नहीं होती है। सिर्फ पर्ची के सहारे टर्न ओवर चल रहा है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब विभाग जांच के लिए नई रणनीति बना रहा है ताकि नकली दवा के कारोबारियों तक पहुंच सके।
डॉक्टर और इंजीनियर भी शामिल
नकली दवा की दोबारा पैकिंग में कई डॉक्टर और इंजीनियर भी शामिल हैं। दिसंबर में गाजियाबाद में नकली दवा को असली दवा के पैकेट में भरने वाला कारखाना पकड़ा गया था। यह पूरा खेल एमबीबीएस और बीटेक डिग्रीधारी चार लोग कर रहे थे। ये सभी जेल में हैं। वाराणसी में पकड़े गए लोगों ने भी पूछताछ में स्वीकार किया है कि कौन सी दवा किस रैपर में पैक होगी और उस पर बैच नंबर कौन सा लिखा जाएगा, यह तय करने का काम उनके गैंग में शामिल डॉक्टर करते हैं। पैकिंग मशीन चलाने की जिम्मेदारी इंजीनियर उठाते हैं।