
कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक व अर्चना वर्मा। (फाइल फोटो)
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भाजपा को शाहजहांपुर नगर निगम में महापौर पद के लिए कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं मिला। तब भाजपा ने सपा के पुराने राजनीतिक घराने में दरार लगा दी। शाहजहांपुर नगर निगम बनने के बाद पहली बार चुनाव हो रहा है। यहां महापौर का पद पिछड़े वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है।
सूत्रों के मुताबिक शाहजहांपुर में महापौर प्रत्याशी चयन का चयन कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना और सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर की सहमति से ही होना था। पार्टी में महापौर पद के लिए महानगर अध्यक्ष अरुण गुप्ता की पत्नी, सभासद वेद प्रकाश मौर्य की पत्नी और महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष शिल्पी गुप्ता का नाम प्रमुखता से सामने आया था। वहीं कुछ अन्य दावेदार भी थे। मगर शाहजहांपुर से लेकर लखनऊ तक हुए मंथन में पार्टी इन नामों पर जीत के प्रति आश्वस्त नजर नहीं आई।
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गौरतलब है कि शाहजहांपुर नगर पालिका परिषद में बीते दो दशक से सपा का कब्जा रहा है। नगर निगम के महापौर पद के लिए सपा ने पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा की पुत्रवधू व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अर्चना वर्मा को प्रत्याशी बनाया था। शाहजहांपुर में नगर निगम में 3.26 लाख मतदाता हैं। इनमें सर्वाधिक एक लाख से अधिक मुस्लिम, 25 हजार लोधी और लगभग 20 हजार यादव मतदाता हैं। ऐसे में सपा का पलड़ा शुरुआत से ही भारी नजर आ रहा था। पार्टी ने बाजी पलटने के लिए अर्चना वर्मा को ही भाजपा में शामिल करने की रणनीति बनाई।
सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान भी अर्चना को भाजपा में शामिल करने की तैयारी थी लेकिन, उस समय उनके पति राजेश वर्मा के ददरौल से सपा प्रत्याशी घोषित होने के कारण बात नहीं बनी। अर्चना को विश्वास दिलाया गया कि उन्हें महापौर का प्रत्याशी बनाया जाएगा। मौजूदा माहौल में राजनीतिक हल्कों में महापौर चुनाव में भाजपा के टिकट को जीत की गारंटी माना जाता है, ऐसे में अर्चना ने भी सत्तारूढ़ दल का दामन थामना उचित समझा।