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भारत में आए हिंदू और सिख शरणार्थी। – फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश सरकार उनके लिए संक्रमणीय भूमिधर अधिकार प्रदान करने पर विचार कर रही है। इसके लिए मुरादाबाद के कमिश्नर अन्जनेय कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है, जो मौके पर सर्वे करवाने का काम कर रही है। इस संबंध में आई प्राथमिक रिपोर्ट का शासन स्तर पर परीक्षण भी किया जा चुका है। साथ ही संबंधित जिलों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
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1947 में भारत-पाक विभाजन के समय पाकिस्तान से आए करीब 10 हजार परिवारों को लखीमपुर खीरी, रामपुर, बिजनौर और पीलीभीत में बसाया गया था। इन्हें सरकार की ओर से जमीन भी दी गई थी। इनमें से अधिकतर हिंदू और सिख शरणार्थी थे। लेकिन, इनमें से तमाम परिवारों को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार नहीं मिला। यानी, इन परिवारों के वारिस अपनी जमीन पर बैंक से फसली ऋण के अलावा कोई और ऋण नहीं ले सकते। उन्हें जमीन बेचने का भी अधिकार नहीं है।
ये शरणार्थी लंबे समय से संक्रमणीय भूमिधर अधिकारों की मांग कर रहे हैं। इनके दावों के परीक्षण के लिए शासन ने कुछ समय पहले मुरादाबाद के कमिश्नर, पीलीभीत के डीएम, लखीमपुर खीरी के एडीएम और शासन के उप सचिव की एक कमेटी बनाई। लखीमपुर के एडीएम इस कमेटी के सदस्य सचिव हैं।
कमेटी यह देख रही है कि इन शरणार्थियों के पास किस जिले में कितनी जमीन है। वे कब भारत आए और उनकी अब कुल संख्या कितनी है। जमीन पट्टे वाली है या बिना पट्टे के ही मौके पर काबिज हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में बिजनौर के अलावा शेष तीन जिलों की प्राथमिक रिपोर्ट शासन को मिली, लेकिन उसमें कुछ खामियां मिली हैं। इन पर विचार कर नए सिरे से रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है।