[ad_1]

सिविल सेवा परीक्षा 2022 में जिले के होनहारों ने अपनी मेधा का डंका बजाय है। परीक्षा में चार मेधावियों ने सफलता हासिल की है, जिनमें दो बेटियां हैं तो दो बेटे। परीक्षा परिणाम आने के बाद से मेधावियों के घर में खुशी का माहौल है। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। सबसे बड़ी सफलता शहर की बेटी रूपल श्रीवास्तव ने हासिल की है। उन्हें 113वीं रैंक हासिल हुई है। इसके अलावा गौरव त्रिपाठी ने 226वीं, दृष्टि जायसवाल ने 255वीं और विवेक यादव ने 718वीं रैंक हासिल की है। जिले के नाम पांचवीं सफलता भी आई है, लेकिन वह मेधावी जिले में नहीं रहा है। उसने 111वीं रैंक हासिल की है। शहर से उसका नाता बस इतना है कि उसके पिता रेलवे में अधिकारी हैं और गोरखपुर में तैनात हैं।

 

तीसरे प्रयास में रूपल ने हासिल की 113वीं रैंक

जिले की बेटी रूपल श्रीवास्तव ने सिविल सेवा परीक्षा में 113वीं रैंक हासिल कर शहर का मान बढ़ाया है। उनके पिता डॉ. अभय कुमार श्रीवास्तव जालौन में सीडीओ के पद पर कार्यरत हैं और मां डीएवीपीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। रूपल माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उन्होंने यह कामयाबी तीसरे प्रयास में हासिल की है। बचपन से ही मेधावी रहीं रूपल ने लिटिल फ्लावर स्कूल, धर्मपुर से कक्षा 10वीं में 96.68 फीसदी और 12वीं में 97.5 फीसदी अंक हासिल किया था। इसके बाद एनआईटी, जमशेदपुर से बीटेक में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

रूपल ने आईएएस की तैयारी दिल्ली से की। उन्होंने पहला प्रयास वर्ष 2020 में किया, जिसमें सफलता नहीं मिली, लेकिन रूपल ने हौसला नहीं छोड़ा। दूसरी कोशिश में उन्होंने प्री परीक्षा में कामयाबी पा ली, लेकिन मेन क्लीयर नहीं कर सकीं। तीसरे प्रयास में रूपल ने अपनी मेधा का परचम लहरा दिया। अमर उजाला से बातचीत में रूपल ने बताया कि वह रोजाना आठ से 10 घंटे पढ़ती थीं। अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को दिया है और बताया कि उन्हें पेंटिंग और किताबें पढ़ने का शौक है। तैयारी करने वाले छात्रों को सफलता का मंत्र देते हुए कहा कि असफलता से घबराएं नहीं। संयम के साथ निरंतर पढ़ाई करें। सफलता अवश्य मिलेगी।

 

गौरव ने 226वीं रैंक हासिल कर बढ़ाया मान

शहर के तारामंडल के रहने वाले गौरव त्रिपाठी ने सिविल सेवा परीक्षा में 226वीं रैंक हासिल की है। दो बार इंटरव्यू में असफल होने के बाद भी गौरव ने हार नहीं मानी और तीसरी बार में सफलता का परचम लहरा दिया। हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाले गौरव ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई राजकीय जुबली इंटर कॉलेज से की है। इसके बाद आईआईटी रुड़की से पढ़ाई के दौरान सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए।

दो बार मेंस परीक्षा में सफल हुए, लेकिन इंटरव्यू में सफलता नहीं मिली। वर्ष 2020 की परीक्षा में सफल हुए, लेकिन रैंक अच्छी नहीं होने के चलते ज्वाइन नहीं किया। आईएएस बनने का लक्ष्य तय कर फिर से तैयारी में जुट गए। ऑनलाइन कोचिंग शुरू की और तीसरी बार में सफलता हासिल कर लिया। गौरव मूल रूप से देवरिया के रुद्रपुर के मनिहरपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होकर पीएनबी बैंक में कैशियर के पद पर कार्यरत हैं।

माता कुसुमलता त्रिपाठी गृहणी हैं। बड़े भाई कोचिंग चलाते हैं, जबकि छोटा भाई बीटेक कर रहा है। गौरव का कहना है कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए धैर्य बहुत जरूरी है। बताया कि सोशल मीडिया पर काफी ध्यान देता था। खुद एक यूट्यूब चैनल भी बना रखा है। उस पर अपने कोर्स से संबंधित जानकारी साझा करता हूं। सात से आठ घंटे ही पढ़ाई करता था। पढ़ाई के दौरान तनाव नहीं लेता था। परिवार का हर कदम पर साथ मिला, जिसकी बदौलत सफलता हासिल हुई है।

 

दृष्टि ने दूसरे प्रयास में हासिल की 255वीं रैंक

अगर जुनून हो तो कामयाबी जरूर मिलेगी। इसे साबित कर दिखाया है मोहद्दीपुर, चार फाटक की रहने वाली दृष्टि जायसवाल ने। उन्होंने दूसरी बार में सिविल सेवा परीक्षा में 255वीं रैंक हासिल कर नाम रोशन किया है। 10वीं की पढ़ाई सेंट जूड्स और 12वीं की पढ़ाई डिवाइन पब्लिक स्कूल से पूरी करने वाली दृष्टि ने बीएससी एमपी पीजी कॉलेज, जंगल धूषण से की है। इसके बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चली गईं।

पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन हार नहीं मानी। दृष्टि ने बताया कि परिवार का पूरा साथ मिला। कभी कोई तनाव नहीं दिया, जिसकी बदौलत दूसरे प्रयास में सफलता मिल गई। दृष्टि के पिता रामशंकर जायसवाल चार फाटक के पास ही किराने की दुकान चलाते हैं। माता सुनीता जायसवाल गृहणी है। भाई अंकित जायसवाल पढ़ाई कर रहा है। दृष्टि ने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। दृष्टि ने बताया कि कॉलेज में बेहतर पढ़ाई का माहौल मिला। शिक्षकों का हर कदम पर साथ मिला। उन्होंने कहा कि तैयार के दौरान सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर रहीं।

 

विवेक ने तीसरे प्रयास में 718वीं रैंक हासिल की

सहजनवां के बवंडरा सीहापार के राजेंद्र यादव के बेटे विवेक यादव ने सिविल सेवा परीक्षा में 718वीं रैंक हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है। विवेक के पिता सपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष हैं। विवेक ने सेंट जेवियर्स स्कूल, भीटी रावत से 10वीं और लखनऊ पब्लिक स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की है। इसके बाद दिल्ली चले गए और करोड़ीमल काॅलेज से प्रथम श्रेणी से राजनीति विज्ञान में स्नातक आनर्स की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में ही रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। दो बार असफल रहने के बाद ही हौसला नहीं छोड़ा और तीसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली। विवेक ने अपनी सफलता का श्रेय पिता राजेंद्र यादव, माता माधुरी, बहन और भाई को दिया है।

 

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अभी अभी की खबरें