
चौसर की बिसात, शकुनि की चालें, छल और कपट से भरे पासे, तार-तार होता द्रोपदी का स्वाभिमान और जिससे उपजा महाभारत का विध्वंस। जिसमें छिपा था गीता का ज्ञान। यह सब मंगलवार को सूरसदन में जीवंत हुआ। मौका था ताज महोत्सव के तहत आयोजित नृत्य नाटिका ‘यदा यदा हि धर्मस्य’ का।