संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। सड़कों पर घूमने वाले गोवंश को आश्रय देने के लिए महानगर और ग्रामीण क्षेत्रों में गोशाला हैं। इन गोशालाओं में कई दुधारू गोवंश भी हैं। इन गोवंश को इच्छुक व्यक्ति गोशालाओं से घर ले जा सकता है। इनकी देखरेख के एवज में प्रत्येक गोवंश पर प्रतिमाह 1500 रुपये दिए जा रहे हैं। वर्तमान में 1968 गोवंश की देखभाल ग्रामीण कर रहे हैं।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि जनपद में 302 गोशाला हैं। इनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 267 गोशाला में कुल 51 हजार गोवंश हैं। गोवंश की बढ़ती संख्या को देखते हुए पशुपालन विभाग ने गो पालन के लिए योजना निकाली और इच्छुक ग्रामीणों को गो पालन करने के साथ ही डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह देना शुरू किया। उनकी यह योजना काम आई। वर्तमान में 1968 गोवंश की देखभाल ग्रामीण कर रहे हैं। इससे उन्हें लाभ भी हो रहा है। वह दूध बेचकर अपनी आय को बढ़ा रहे हैं।
हालांकि, कई ग्रामीण ऐसे थे जिन्होंने 1500 रुपये प्रतिमाह के लालच में गोवंश ले लिए और कुछ दिन बांधने के बाद उन्हें फिर से बेसहारा छोड़ दिया। लगातार शिकायत आने पर पशुपालन विभाग भी सचेत हो गया है। प्रत्येक ब्लॉक में गोशालाओं से गोवंश लेने वालों का प्रतिमाह निरीक्षण करने के बाद ही उन्हें धनराशि आवंटित की जा रही है।
डोर-टू-डोर सर्वे से सुधरी व्यवस्था
गोवंश की देखभाल की व्यवस्था जांचने के लिए ब्लॉक स्तर पर डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया जाता है। प्रतिमाह किसी भी कार्य दिवस पर ब्लॉक स्तर के कर्मी व पशु चिकित्सक आवेदकों के घर पहुंचते हैं और जानकारी एकत्र करते हैं। इतना ही नहीं गोवंश की आवेदक के साथ फोटो खींचकर उसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। इसके बाद ही उन्हें 1500 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है।
गोशाला में भी इतना ही खर्चा
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि गोशाला में भी एक गोवंश पर इतना ही खर्चा आता है। इसलिए उक्त धनराशि पालकों को दी जा रही है। इसकी निगरानी विभाग की ओर से लगातार की जा रही है।