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गंधकुटी पर प्रार्थना करते कोरिया से आए अनुयायी। संवाद
कटरा (श्रावस्ती)। बुद्ध की तपोस्थली पहुंचे कोरिया के दल ने बृहस्पतिवार को आनंद बोधि व गंधकुटी पर प्रार्थना की। बुद्ध के अनुयायियों ने भिक्षु भंवरानंद के नेतृत्व में विश्व शांति की कामना की।
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भिक्षु भंवरानंद ने कहा कि सिद्धार्थ बचपन से ही अत्यंत करुण हृदय वाले थे। वह किसी का भी दुख नहीं देख सकते थे। 21 वर्ष की आयु में एक बार वह अपने राज्य कपिलवस्तु की गलियों में घूम रहे थे। उस दौरान उनकी दृष्टि चार दृश्यों पर पड़ी।
उन्होंने एक वृद्ध विकलांग है, एक रोगी, एक पार्थिव शरीर और एक साधु को देखा। इन चार दृश्यों से सिद्धार्थ समझ गए कि सब का जन्म होता है, सब को बुढ़ापा आता है, सब को बीमारी होती है और एक दिन सब मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।
इससे व्यथित होकर उन्होंने अपना घर-द्वार, पत्नी-पुत्र एवं राजपाठ का त्याग करते हुए साधु का जीवन अपना लिया। वह जन्म, बुढ़ापा, दर्द, बीमारी और मृत्यु से जुड़े सवालों की खोज में निकल पड़े। सिद्धार्थ अपने प्रश्नों के उत्तर ढूंढ रहे थे। समुचित ध्यान लगाने के बाद भी उन्हें इन प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले।