Camera-mic was provided to the shooters shortly before the murder of Ateeq-Ashraf

अतीक-अशरफ हत्याकांड
– फोटो : अमर उजाला

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माफिया अतीक अहमद और अशरफ के शूटरों ने प्रयागराज जंक्शन के सामने होटल स्टे-इन को ठिकाना बनाते वक्त किसी को मीडिया कर्मी होने की सूचना नहीं दी थी। इनके पास कैमरा-माइक आईडी और पहचान पत्र भी नहीं थे। आते-जाते भी इनके पास कभी कैमरा या माइक नहीं देखा गया। शक यही गहरा रहा है कि शूटरों के दो मददगारों ने ही वारदात से कुछ वक्त पहले ही इन्हें यह सब मुहैया कराया था।

पुलिस अभिरक्षा में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को कैमरे के सामने गोलियों से छलनी करने वाले शूटर लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य को होटल स्टे-इन में ठहराने और माफिया भाइयों की रेकी कराने वाले मददगार कौन हैं? कितने हैं? इसका राज खुलना अभी बाकी है। विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच से इतना तो साफ हुआ कि शूटरों को दो लोगों ने मदद पहुंचाई। इनमें से एक स्थानीय मददगार है, एक बाहरी।

यही वह लोग हैं, जो अतीक-अशरफ हत्याकांड के मास्टरमाइंड से फोन पर बात करते थे। ऊपर से जो आदेश आता था, इन्हें बताया जाता था। इसी कारण तीनों शूटरों ने कोई मोबाइल फोन भी इस्तेमाल नहीं किया था। इनके होटल से जो फोन मिले भी, वह बगैर सिम के हैं। एसआईटी इन मददगारों के चेहरे अभी तक बेनकाब नहीं कर पाई है।



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