
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के आयुष कॉलेजों में हुए फर्जी दाखिलों और घूसखोरी के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। अभी मामले की विवेचना एसटीएफ कर रही है। कोर्ट ने साथ ही आरोपी आयुर्वेद कॉलेज संचालिका डॉ. रितु गर्ग की जमानत भी मंजूर कर दी है।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने रितु गर्ग की जमानत अर्जी पर सुनवाई की। कोर्ट ने पाया कि याची के खिलाफ विवेचना में ऐसे कोई सबूत नहीं पाए गए, जिससे लगे कि याची ने आयुष कॉलेज में फर्जी दाखिले के लिए नीट पीजी 2021-22 के नतीजों में गड़बड़ी की हो।
वहीं, सुनवाई के दौरान विवेचनाधिकारी ने आयुर्वेद निदेशालय के ऑफिसर इंजार्च डॉ. उमाकांत सिंह का बयान पढ़ा। इसमें 2019 में आयुष कॉलेजों में यूजी-पीजी में दाखिले के लिए तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी, तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी सहित अन्य आला अफसरों पर घूस लेने का आरोप है।
आरोप है कि मंत्री ने अपने बंगले पर एक करोड़ पांच लाख रुपये लिए। त्रिवेदी ने भी 25 लाख लिए थे। घूस के पैसों की बंदरबांट निदेशक से लेकर सचिव व सेक्शन अफसर तक हुई। छात्रों को सीट आवंटन के नाम पर कॉलेजों से बड़ी राशि लिए जाने के भी आरोप हैं।