जिस पर कल्लू ने रात जगने के कारण थके होने की बात कही। दबाव बनाने पर वह चलने के लिए तैयार हो गया। गेस्टहाइस से बस केवल 20 किलोमीटर ही चली होगी कि अचानक जबरदस्त हादसा हो गया। हादसे में जो लोग सुरक्षित बच गए, वह घटना किस तरह से हुई कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। उनका कहना है कि हादसे के वक्त वह लोग सो रहे थे, जिससे उन्हें पता नहीं चल सका।
हादसे में जान गंवाने वाले चाचा रघुनंदन सिंह अपने भतीजे कुलदीप सिंह के साथ खुशी-खुशी बरात के लिए निकले थे। रघुनंदन के पिता हरनाम सिंह ने बताया कि जैसे ही दोनों की मौत की सूचना घर पहुंची तो मां विजया देवी,पत्नी गुड्डी देवी, पुत्र पंकज सिंह, मनोज सिंह,अभिषेक सिंह पुत्री संध्या देवी बेहाल हो गईं। वहीं, कुलदीप की मौत से पत्नी नैना, पुत्र राजन सिंह व भाई मोहित सिंह बेहाल हैं। पिता वकील सिंह पुत्र की मौत से बार-बार गश खाकर गिर जाते हैं।
रिटायर फौजी के पिता बोले बेटे को बस चलाने से मना किया था
हादसे में रिटायर फौजी शिरोमन बघेल की मौत हो गई। फौजी के बेटे जशराज ने बताया कि उनका परिवार लहार में रह रहा है। घटना से पत्नी राममूर्ति, पुत्र जसरथ वघेल, हरेंद्र वघेल,पुत्री रीना बेहाल हैं। उधर, चालक चरन सिंह यादव उर्फ कल्लू की मौत से पत्नी सुमन देवी, पुत्र संजू सिंह, अंशू सिंह व भाई सर्वेश बेहाल हैं। मृतक के पिता रामबरन सिंह, मां रामबेटी ने बताया कि बेटा 15-20 वर्षों से बस चला रहा था। आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं से पुत्र कल्लू से कहा था कि बस चलाना बंद कर दो और दूसरी नौकरी कर लो। पुत्र ने कहा था कि सकालग के बाद बस चलाना बंद कर देंगे। अंतियनपुरा पर दुकान रख कर घर का खर्च चलाएंगे। क्या पता था कि यह उसकी आखिरी सहालग होगी।
सोते सोते चली गई जान
बस हादसे से जिले में सनसनी फैल गई है, प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक चालक परिचालक को छोड़कर बस में सवार अधिकतर लोग सो रहे थे, हादसा होते ही बस में चीखपुकार मच गई। तीन लोगों की सोते सोते जान चली गई। वह किसी से मदद भी नहीं मांग पाए। लोगों का कहना है कि हादसा कैसे हुआ इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
डीएम ने लिया घायलों का हालचाल
हादसे की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी चांदनी सिंह सुबह लगभग आठ बजे मेडिकल कॉलेज पहुंचीं। उन्होंने घायलों से बात की और अच्छे इलाज का भरोसा दिलाया। इमरजेंसी में मौजूद डॉ. प्रशांत निरंजन से अभी तक हुए इलाज की जानकारी ली। डीएम ने घायलों का सीटी स्केन जिला अस्पताल में कराने का निर्देश दिया। इस दौरान एडीएम पूनम निगम भी मौजूद थीं। डीएम ने बताया कि घायलों और मृतकों को जल्द ही आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाएगी।
15 मिनट तक ऑक्सीजन का होता रहा इंतजार
हादसे में घायल ब्रजेंद्र सिंह राजावत की हालत खराब होने पर हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। उसे जिस एंबुलेंस से भेजा रहा था, उसमें ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी। बाद में एक निजी एंबुलेंस बुलाई गई, जिसमें ऑक्सीजन की व्यवस्था थी। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग आधे घंटे का समय लगा। एंबुलेंस आने से पहले तक मरीज इमरजेंसी के गेट पर ही इंतजार करता रहा। इस बीच उसे ऑक्सीजन की जरूरत होने के बावजूद 15 मिनट तक व्यवस्था नहीं की जा सकी। बाद में मेडिकल कॉलेज से ही एक सिलिंडर मंगाया गया और एंबुलेंस आने तक उसे ऑक्सीजन लगाई गई।