चिया सीड की खेती से किसानों के रोल मॉडल बने हरिश्चंद्र
सुल्तानपुर निवासी किसान हरिश्चंद्र सेना से आर्टिलरी कर्नल के पद से वर्ष 2015 में रिटायर हुए थे। उन्होंने बाराबंकी की हैदरगढ़ तहसील के सिद्धौर ब्लॉक के अमसेरुवा गांव में तीन एकड़ जमीन खरीदी। इस पर चिया सीड, ग्रीन एप्पल, रेड एप्पल बेर, ड्रैगनफूड, काला गेंहू और कई प्रजाति के आलू की खेती करना शुरु किया। मन की बात में हरिश्चंद्र ने प्रधानमंत्री को बताया था कि कई किसान इस खेती के प्रति उत्सुक है।
विदेशों तक जा रहा निमित्त सिंह का शहद
शहद वाला के नाम से मशहूर युवा उद्यमी निमित्त सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात में छा चुके हैं। निमित्त ने प्रधानमंत्री को शहद के कारोबार की बारीकियां बताईं तो प्रधानमंत्री ने युवाओं को इससे प्रेरणा लेने की बात कही। निमित्त ने बीटेक के बाद शहद उत्पादन कर रहे हैं।
हेमंत ने कल्याणी से किया प्रवासी श्रमिकों का कल्याण
प्रधानमंत्री ने कल्याणी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए मनरेगा से हुए कार्य को आदर्श बताते हुए प्रवासी श्रमिकों के योगदान की सराहना की थी। तत्कालीन बीडीओ हेमंत यादव ने इसमें भूमिका निभाई थी। इससे कल्याणी की अविरल धारा फूट पड़ी थी।
सराही झील पुनर्जीवित करने में सराहे गए थे एसडीएम राजीव
पूरे डलई ब्लॉक की ग्राम पंचायत सराही की प्रवासी पक्षियों की सैरगाह रही झील सूख गई थी। 2020 की शुरुआत में रामसनेहीघाट के तत्कालीन एसडीएम राजीव शुक्ला ने बिना किसी सरकारी खर्च के सराही झील को श्रमदान से पुनर्जीवित कराया।
किसानों के संवाहक बने दयाशंकर
दयाशंकर ने बाराबंकी में 40-40 किसानों के क्लब बनाकर मंडी का सर्वेक्षण करवाया और किसानों की सब्जी सीधे 65 होटलों व अपार्टमेंट में भेजना शुरू की। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ।
एक एप पर आ गया पूरा गांव
रायबरेली में मिर्जापुर उर्फ तौधकपुर गांव निवासी रजनीश वाजपेयी ने स्मार्ट गांव एप बनाकर उसे अपने गांव में लागू कराया। एप के जरिए गांव की सभी सूचनाएं, विकास कार्य, फोन डायरेक्टरी सहित तमाम जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं।
दिव्यांग होकर भी दिव्यांगों का सहारा बने
मेरठ के गेसूपुर निवासी गौतम पाल बचपन से दिव्यांग होने के बावजूद न सिर्फ खुद आगे बढ़े बल्कि दिव्यांगों का भी सहारा बने। साक्षरता अभियान के तहत 1997 से वर्ष 2000 तक मेरठ में कार्य किया। गौतम पाल गांवों में शिविर लगवाते थे और दिव्यांगों को उपकरण वितरित कराते थे। गौतम पाल शॉटपुट, जैवलिन, डिस्कस थ्रो के भी खिलाड़ी रह चुके हैं। इन्होंने राज्य स्तर पर कई गोल्ड मेडल हासिल किए हैं।
देश का नाम किया ऊंचा
मेरठ के माधवपुरम सेक्टर – 3 निवासी एथलीट प्रियंका गोस्वामी 10 व 20 किमी. पैदल चाल की राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में 20 से ज्यादा पदक अपने नाम कर चुकी हैं। प्रियंका इस समय बंगलुरू साईं सेंटर में हैं। 2020 टोक्यो ओलंपिक में पैदल चाल में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी प्रियंका, इंग्लैंड के बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में देश को रजत पदक दिला चुकी हैं।
निखार रहे प्रतिभाएं
मेरठ के ही सूरजकुंड रोड निवासी एथलेटिक कोच गौरव त्यागी कैलाश प्रकाश स्टेडियम में अस्थाई कोच हैं। गौरव ने गोस्वामी को प्राथमिक प्रशिक्षण दिया था। गौरव त्यागी दिव्यांग खिलाड़ियों को भी प्रशिक्षण देते हैं, इनके कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरक बनीं कादीपुर गांव की पल्लवी और मंजू
प्रयागराज के बहरिया ब्लॉक के कादीपुर गांव की पल्लवी परमार और मंजू ने 2017 में ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर स्वयं सहायता समूह के जरिए चप्पल बनाने का काम शुरू किया था। बाद में यही कोशिश उनकी सफलता की बुनियाद बन गई। पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी कामयाबी की तारीफ तो वह देश भर में चर्चा में आ गईं। दो साल में तकरीबन पौन तीन लाख पैरों में इन महिलाओं द्वारा बनाई गई चप्पलें पहुंच गईं।
जेल में काऊकोट बनवाने के लिए पीएम ने की थी जेलर बीएस मुकुंद की तारीफ
कौशाम्बी कारागार के जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद ने गोशालाओं में आने वाले गोवंशों को ठंड से निजात दिलाने के लिए काऊकोट बनाने की जेल में पहल की। प्रधानमंत्री ने जेल अधीक्षक के कार्यों को सराहा तो जेल प्रशासन ने अब प्रदेश की अन्य गोशालाओं के गोवंशों के लिए भी काऊकोट तैयार करने का फैसला लिया है।
10वीं की छात्रा नव्या ने बताया भारत का विजन
प्रयागराज के महर्षि पतंजलि विद्यामंदिर की 10वीं की छात्रा नव्या वर्मा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 85 वें संस्करण में जिक्र किया था। नव्या ने पीएम को भेजे अपने पोस्टकार्ड में 2047 के भारत का विजन प्रस्तुत किया था। नव्या ने लिखा था कि उनका सपना ऐसे भारत का है जहां सभी को सम्मान पूर्वक जीवन मिले, जहां किसान समृद्ध हों और भ्रष्टाचार न हो।
पानी के लिए चलाया अभियान
प्रयागराज के झूंसी निवासी गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के शोध छात्र रामबाबू तिवारी पिछले कई सालों से बुंदेलखंड के गांवों के साथ ही प्रयागराज के शंकरगढ़ इलाके में भी पानी के लिए सघन अभियान चला रहे हैं। रामबाबू बुंदेलखंड के बांदा जिले के अधांव गांव में चलाए गए अभियान खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में प्रेरणाप्रद बन गया है।
विशेष बच्चों को कर रहीं शिक्षित
बरेली के विशेष बच्चों को शिक्षित करने के लिए सालों से अभियान चला रहीं दीपमाला पांडे ने 2018 में शहर के कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर व्हाट्सएप पर इंक्लूसिव एजुकेशन के नाम से एक पीपल लर्निंग कम्युनिटी बनाई थी और विशेष बच्चों को दाखिला देने के लिए एक अभियान शुरू किया था। इस अभियान से अब तक 800 विशेष बच्चों का एडमिशन हो चुका है।
बनाना फाइबर से बदली खुद की तकदीर
लखीमपुर खीरी के ब्लॉक ईसानगर के समैसा गांव की रहने वाली पूनम राजपूत ने ‘बनाना फाइबर यूनिट’ लगाकर खुद अपनी और गांव वालों की तकदीर बदल डाली है। 2021 में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने उनके नाम का जिक्र किया था। उनके केले के रेशा की मांग सूरत, अहमदाबाद, कानपुर शहरों में बढ़ गई है। 2021 में इसके लिए पूनम को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सम्मानित किया था।