मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) ।ज़िला प्रशासन और पूर्व सैनिकों के बीच हुई एक बेहद अहम बैठक ने जिले की प्रशासनिक रणनीति को और मजबूत कर दिया है। दोपहर के समय कचहरी परिसर स्थित ज़िला पंचायत सभागार में आयोजित इस बैठक में जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में ज़िले के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे पूर्व सैनिकों ने प्रशासन को पूरा सहयोग देने का भरोसा जताया।

🔴 बैठक का मुख्य उद्देश्य:
जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के नेतृत्व में बुलाई गई इस बैठक का मकसद वर्तमान सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियों को लेकर सामूहिक संवाद स्थापित करना था। यह पहल ऐसे समय में की गई जब जिले में विभिन्न स्तरों पर शांति व्यवस्था को लेकर चिंता जताई जा रही है। इस मौके पर अधिकारियों और पूर्व सैनिकों के बीच समन्वय स्थापित करने पर ज़ोर दिया गया।

🫡 पूर्व सैनिकों की हुंकार:
बैठक में उपस्थित पूर्व सैनिकों ने न सिर्फ अपने बहुमूल्य सुझाव साझा किए, बल्कि खुलकर कहा कि उनका संगठन हर परिस्थिति में प्रशासन के साथ खड़ा रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि “हमने जब देश की रक्षा की, तब भी किसी परिस्थिति से पीछे नहीं हटे, और अब जब प्रशासन को हमारी जरूरत है, तो भी हम पूरी तरह तैयार हैं।”

💬 एक पूर्व सैनिक ने कहा:
“रिटायरमेंट हमारे हौसलों को कम नहीं करता। हमारी वर्दी भले ही उतर गई हो, पर सेवा भाव आज भी जिंदा है।”

📍 कौन-कौन रहा मौजूद?
इस खास बैठक में जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के साथ-साथ एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व गजेन्द्र कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक का संचालन बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में किया गया, जहां पूर्व सैनिकों की बातों को गंभीरता से सुना गया और उनके सुझावों को भविष्य की रणनीतियों में शामिल करने का आश्वासन भी दिया गया।

📌 प्रशासन को क्या मिला इस सहयोग से?

  • 👮🏻 पूर्व सैनिकों के अनुभव का फायदा प्रशासन को आपदा प्रबंधन, चुनावी सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में मिलेगा।

  • 🧭 स्थानीय युवाओं को राष्ट्रसेवा की भावना के साथ जोड़ने में यह सहयोग एक मजबूत आधार बनेगा।

  • 🔐 किसी भी आपात स्थिति में पूर्व सैनिक प्रशासन के साथ मिलकर ‘रैपिड रिस्पॉन्स यूनिट’ जैसे समूहों का हिस्सा बन सकते हैं।

🛡️ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा यह सहयोग जिला स्तर पर भी आएगा काम:
पूर्व सैनिक न केवल सेना में अनुभव रखते हैं, बल्कि सामाजिक अनुशासन, अनुशासनप्रियता और संकट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षित होते हैं। यह सहयोग स्थानीय निकायों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा, खासकर जब मुद्दा होता है सामाजिक एकता और शांति व्यवस्था को बनाए रखने का।

📞 DM उमेश मिश्रा ने क्या कहा?
बैठक के अंत में जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने सभी पूर्व सैनिकों का धन्यवाद करते हुए कहा:
“पूर्व सैनिक हमारे समाज की अमूल्य धरोहर हैं। उनका समर्थन प्रशासन के लिए एक संबल है। हम उनके अनुभव और समर्पण का उपयोग ज़िले की बेहतरी में अवश्य करेंगे।”

🗂️ ADM नरेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा:
“जब संकट आता है, तब जो सबसे पहले सेवा में उतरते हैं, वो हमारे सैनिक ही होते हैं। हमें गर्व है कि वे अब हमारे साथ एक सिविल स्ट्रक्चर में सहयोग देने को तैयार हैं।”

📊 एक नज़र—मुज़फ़्फरनगर ज़िले में पूर्व सैनिकों की संख्या:

  • कुल पंजीकृत पूर्व सैनिक: 2,150+

  • सक्रिय पूर्व सैनिक संगठन: 5

  • आपातकालीन कार्यों में स्वैच्छिक भागीदारी: 70% तक

📢 आने वाले समय की योजना:
प्रशासन की योजना है कि पूर्व सैनिकों को स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षकों, सलाहकारों और सामुदायिक नेताओं के रूप में शामिल किया जाए। इसके लिए जल्द ही एक “पूर्व सैनिक-सहयोग योजना” भी लागू की जाएगी जिसमें उन्हें विशेष पहचान पत्र, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और आपातकालीन भूमिका सौंपी जाएगी।

🎖️ यह कदम न केवल प्रशासनिक कार्यों को सुगम बनाएगा, बल्कि युवाओं में देशभक्ति और अनुशासन के बीज भी बोएगा।

📍 क्या यह एक राष्ट्रीय मॉडल बन सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि मुज़फ़्फरनगर का यह प्रयोग अन्य जिलों के लिए एक आदर्श बन सकता है। यदि इसे राज्य स्तर पर अपनाया जाए, तो पूरे उत्तर प्रदेश और फिर राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त प्रशासन-सैनिक समन्वय प्रणाली तैयार की जा सकती है।

जहां एक ओर वर्तमान समय में समाज में अस्थिरता और सामाजिक चुनौतियां बढ़ रही हैं, वहीं प्रशासन और पूर्व सैनिकों का यह गठजोड़ भविष्य के लिए एक आशाजनक संकेत देता है। मुज़फ़्फरनगर में यह बैठक सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक ठोस इरादे की शुरुआत थी—जहां देशभक्ति, अनुभव और प्रशासनिक सूझबूझ मिलकर समाज को सुरक्षित और संगठित बना सकते हैं।

 



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