bulldozers wreaked havoc on Delhi's Turkman Gate and Congress reaction hindi news

तुर्कमान गेट कांड
– फोटो : अमर उजाला

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छठवीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त घेराबंदी की गई। आपातकाल के दौरान ज्यादती के कुछ मामले तो चुनावी मुद्दा बन गए, लेकिन कई ऐसे थे जो नहीं बने। दिल्ली का तुर्कमान गेट कांड उनमें से एक है। सत्ता में आई जनता पार्टी सरकार ने जुल्मों की जांच के लिए शाह आयोग गठित किया। आयोग के सामने जो खुलासे हुए वे दिल दहला देने वाले थे। 

अमर उजाला के 21 दिसंबर, 1977 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार, शाह आयोग के समक्ष अनारू नाम की महिला ने बताया कि अप्रैल 1976 में बड़ी बेरहमी के साथ लोगों को अपने मकानों से निकाला गया। सामान निकालने का मौका नहीं दिया गया। कुछ ही मिनटों में बुलडोजर ने घरों को ध्वस्त कर दिया। इस दौरान एक बच्ची मलबे में दब गई। उसे बमुश्किल निकाला गया। दूसरे दिन बच्ची ने दम तोड़ दिया।

अनारू ने बताया कि पुलिस वालों ने मकान खाली कराने के लिए लड़कों को पीटा। महिलाओं के आभूषण लूटे गए। पिता के सामने बेटियों की इज्जत लूटी गई। नव विवाहिताओं के पतियों को जेल ले गए। अनारू ने बताया कि वह कार्रवाई को रुकवाने के लिए संजय गांधी के पास गईं। वह रुखसाना सुल्ताना और जगमोहन के साथ आसफ अली रोड पर एक मकान में व्यस्त थे।

तुर्कमान गेट निवासी जमालुद्दीन ने कहा कि उन्हें जेल में डाल दिया गया। इसके बाद उनका मकान तोड़ दिया। वसीर अहमद ने कहा कि अनेक महिलाओं ने घरों से कूदकर अपनी आबरू बचाई। उन्होंने कहा कि तुर्कमान गेट में सांप्रदायिक तनाव की कहानी गढ़ी गई। 

 



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