Dacoit Kusuma Nain Feared Outlaw Who Ordered Village Pradhans and Shot a Police Officer

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Dacoit Kusuma Nain
– फोटो : अमर उजाला

पचनद के जंगलों की कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन पर हत्या समेत 24 से अधिक मामले दर्ज थे। देश में जितनी महिला डकैत थीं, उनमें कुसमा सबसे खूंखार मानी जाती थी। सिरसाकलार थाना क्षेत्र के टिकरी गांव निवासी डरू नाई की पुत्री कुसुमा नाइन का जन्म 1964 में हुआ था। 

पिता गांव के प्रधान थे। चाचा गांव में सरकारी राशन के कोटे की दुकान चलाते थे। इकलौती संतान होने के चलते लाड़ प्यार से पल रही थी। 13 साल की उम्र में उसे पड़ोसी माधव मल्लाह से प्रेम हो गया। वह उसके साथ चली गई। करीब दो साल तक उसका कोई पता नहीं चला।

 




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समर्पण करने जाती कुसुमा नाइन। 
– फोटो : सोशल मीडिया

कुसुमा से प्रेम करता था माधव

इसके बाद उसने पिता को चिट्ठी लिखी कि वह दिल्ली के मंगोलपुरी में माधव के साथ है। तब पिता दिल्ली पुलिस के साथ पहुंचे और उसे घर ले आए। पिता ने उसकी शादी कुरौली गांव निवासी केदार नाई के साथ कर दी। माधव कुसुमा से प्रेम करता था। 

 


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कुसुमा नाइन की फाइल फोटो।
– फोटो : संवाद

उसने यह बात रिश्तेदार डकैत विक्रम मल्लाह को बताई। विक्रम मल्लाह माधव को लेकर गैंग के साथियों के साथ कुसुमा की ससुराल पहुंचा। उसने कुसुमा को अगवा कर लिया। इसके बाद वह माधव के साथ विक्रम गैंग में शामिल हो गई। 

विक्रम और फूलन देवी एक ही गैंग में काम करते थे, इससे कुसुमा के आने से उनमें विवाद होने लगा। इस पर कुसुमा को दस्यु लालाराम को मारने को कहा गया, लेकिन कुसुमा ने उसे नहीं मारा और वह लालाराम की गैंग में शामिल हो गई।

 


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कुसुमा की मौत के बाद तैनात पुलिस
– फोटो : अमर उजाला

आस्ता गांव में 15 लोगों की हत्या

वर्ष 1984 में कानपुर देहात के मई आस्ता गांव में 15 लोगों की हत्या की गई और एक महिला और उसके बच्चे को जिंदा जला दिया। इससे वह चंबल की सबसे खतरनाक डकैत बन गई। इसके बाद वह डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ बाबा के संपर्क में आ गई। 2004 में कुसुमा और उनके साथी फक्कड़ बाबा ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया।


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कुसुमा के पति केदार के साथ खड़े दूसरी पत्नी कुंती के पुत्र
– फोटो : अमर उजाला

कुसुमा ने थानाध्यक्ष सहित दो को मार दी थी गोली

चुर्खी थाना क्षेत्र के एक गांव में 1982 में लालाराम और कुसुमा का गैंग रूका था। पिथऊपुर के पीछे इस गांव में डकैत अक्सर रहा करते थे। इसकी जानकारी तत्कालीन चुर्खी थानाध्यक्ष केलीराम को हुई, तो वह दबिश देने गांव पहुंच गए। उस समय कुसुमा शीशा लेकर मांग में सिंदूर भर रहीं थी। जैसे ही उसे शीशे में पुलिस दिखी तो उसने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी। 




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