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कदौरा। निकायों में 2005 तक अध्यक्ष से ज्यादा प्रभाव उपाध्यक्ष का होता था। अध्यक्ष का चुनाव जनता और उपाध्यक्ष का चुनाव सभासद करते थे। नगर पंचायत कदौरा में उपाध्यक्ष का अंतिम चुनाव वर्ष 2004 में हुआ था। इस दौरान लक्ष्मी देवी अध्यक्ष थीं। सभासद महेश प्रसाद गुप्त को वोटिंग के जरिए उपाध्यक्ष चुना गया। उस दौरान बिना उपाध्यक्ष की रजामंदी के अध्यक्ष कोई भी विकास कार्य नहीं करा पाता था।

उपाध्यक्ष के अधिक ताकतवर होने के पीछे का कारण उसे आधे से अधिक सभासदों का समर्थन होता था। बोर्ड बिना आधे से अधिक सभासदों के समर्थन के कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं कर सकता था। ऐसे में अध्यक्ष को कोई भी विकास कार्य कराने के लिए पहले उपाध्यक्ष की रजामंदी लेनी पड़ती थी। इस वजह से अध्यक्ष हमेशा उपाध्यक्ष को अपने साथ ही रखता था।

महेश प्रसाद गुप्त नगर पंचायत कदौरा के अंतिम उपाध्यक्ष रहे हैं। 2005 के बाद उपाध्यक्ष पद खत्म कर दिया गया। पूर्व उपाध्यक्ष महेश प्रसाद गुप्त कहते है कि सपा शासन काल में निकायों में अस्थिरता होने के आरोप के चलते इस महत्वपूर्ण पद को ही खत्म कर दिया गया था। 18 वर्षों से इस पद के लिए किसी का चुनाव नहीं कराया गया। उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 में नगर निकायों में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में बोर्ड की बैठक बुलाने, बैठक की अध्यक्षता करने सहित सभी अधिकारों से संपन्न उपाध्यक्ष का पद हुआ करता था। पूर्व में इसे टाऊन एरिया का वाइस चेयरमैन कहा जाता था।

कदौरा में वर्ष 2004 में उपाध्यक्ष पद का सपा शासन काल में बहुचर्चित चुनाव हुआ था। यह चुनाव बहुत देर से कराया गया था और कार्यकाल सिर्फ एक साल ही रहा। सपा ने अपने सभासद सलीम अहमद को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा ने नगर पंचायत में अपने एकमात्र निर्वाचित सभासद महेश प्रसाद गुप्त (गुड्डा) को उम्मीदवार बनाया। तब नगरपंचायत में 10 वार्ड सदस्य थे। सांसद और विधायक पदेन सदस्य को मत देने का अधिकार था। तत्कालीन विधायक डॉ. अरुण मेहरोत्रा तथा तत्कालीन सांसद भानुप्रताप वर्मा भाजपा के थे। इस तरह भाजपा के पास कुल तीन मत थे। भाजपाइयों ने ऐसी रणनीति बनाई कि वह अपने समर्थक छह सदस्यों को लेकर भूमिगत हो गए। सत्तादल ने बहुत खोज की उनके परिजनों पर काफी दबाव बनाया फिर भी मतदान से पूर्व एक भी सदस्य सत्ता दल को नहीं मिल पाया। कालपी तहसील में हुए मतदान में सभी सदस्यों को बहुत ही गोपनीय ढंग से मतदान केंद्र तक पहुंचा कर भाजपा प्रत्याशी ने आठ वोट हासिल कर लिए। सपा प्रत्याशी को केवल चार वोट ही मिले। यह चुनाव बहुत चर्चित रहा था। 2011 तक नगर पंचायत ने दो वार्डों का गठन किया। जिनकी संख्या बाद में 12 हो गई।

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