झांसी। बुंदेलखंड में वर्ष 2022-23 में 102 एंबुलेंस से 1.97 लाख गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल पहुंचाया गया। हालांकि एंबुलेंस की सुविधाआें का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन एंबुलेंस में महिला स्टाफ न होने से कई बार पुरुष स्टाफ को ही प्रसव कराना पड़ रहा है। एक साल में ऐसे 109 मामले आए हैं जिनमें घर से एंबुलेंस में अस्पताल जा रही महिला को प्रसव पीड़ा होने पर एंबुलेंस में तैनात पुरुष स्टाफ ने ही रास्ते में प्रसव कराया। स्थिति यह है कि झांसी में संचालित 24 एंबुलेंस में से मात्र एक में ही महिला स्टाफ है।
गर्भवती महिलाओं और दो साल के बच्चों को नि:शुल्क अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस 24 घंटे संचालित रहती है। व्यवस्था के तहत सूचना मिलने के कुछ देर बाद एंबुलेंस घर पहुंचकर गर्भवती को अस्पताल पहुंचाती है। लेकिन, कई महिलाओं को अस्पताल जाते समय रास्ते में ही तेज प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है, ऐसे में एंबुलेंस में मौजूद स्टाफ को ही महिला का प्रसव कराना पड़ रहा है। ऐसे में प्रसूता के साथ यदि कोई परिवार की महिला होती है तो वह उसे संभालती है, उसकी समस्या स्टाफ को बताती रहती है। लेकिन, कई बार प्रसूता के साथ परिवार की कोई महिला नहीं होती, ऐसे में स्टाफ अकेले ही प्रसव कराता है। बबीना की महिला राजेश्वरी का मार्च माह में और नीलम का 08 फरवरी को एंबुलेंस में प्रसव कराया गया। महिलाआें का कहना है कि कई बार शर्म की वजह से गर्भवती पुरुष स्टाफ को अपनी परेशानी नहीं बता पाती है। वहीं बुंदेलखंड क्षेत्र में ग्रामीण परिवेश की महिलाएं पुरुष स्टाफ को समस्या बताने में हिचकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि एंबुलेंस में महिला स्टाफ भी तैनात हो। वैसे तो
एंबुलेंस में ऑक्सीजन से लेकर दवाओं तक की व्यवस्था रहती है। 102 एवं 108 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर सुनील कुमार ने बताया कि हर एंबुलेंस में पायलेट (ड्राइवर) के अलावा इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन तैनात रहता है। टेक्नीशियन को प्री-मेडिकल केयर की ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे में तेज प्रसव पीड़ा होने पर टेक्नीशियन प्रसव कराता है।
ये हैं गर्भवतियों के आंकड़े
जनपद घर से अस्पताल ले गए एंबुलेंस में प्रसव
झांसी 41710 04
ललितपुर 28535 15
जालौन 26127 11
हमीरपुर 27499 10
महोबा 19884 20
बांदा 32116 25
चित्रकूट 21638 24