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पंचनद पौराणिक व प्राचीन ऋषियों की साधना स्थली
मनुष्य को प्राकृतिक, सहज और स्वाभाविक रहना चाहिए

रिपोर्ट विजय द्विवेदी (जगम्मनपुर ब्यूरो चीफ )✍️

(उरईजालौन)जगम्मनपुर : जनपद जालौन में आज पंचनद पर नौ दिवसीय शतचंडी यज्ञ में छठवें दिन श्रीमद् भागवत कथा में व्यास शशिभूषण दास ने श्री कृष्ण रासलीला महात्म्य व पंचनद महात्म्य पर व्याख्या की तथा गोहत्या के विरोध में सख्त कानून लाए जाने की मांग की।
श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास शशिभूषण दास (कामतानाथ मंदिर चित्रकूट) ने कन्हैया जी की रासलीला का अद्भुत व बहुत सुंदर वर्णन किया। उन्होंने रासलीला को जीव और ईश्वर का विशुद्ध मिलन बताया। उनके अनुसार, भगवान कृष्ण ने यमुना तट पर योग माया से असंख्य गोपियों के साथ महारास किया। ये गोपियां साधन सिद्धा, योग सिद्धा और वरदान सिद्धा थीं। कुछ नृचा रूपा और कुछ ऋषि रूपा थीं। महारास लीला का श्रवण करने से हृदय से काम वासना नष्ट होती है एवं जीवन में अनचाहे पापों का शमन होता है।
कथावाचक ने श्री कृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग में बताया कि रुक्मिणी लक्ष्मी का और कृष्ण नारायण का स्वरूप हैं। उन्होंने भगवान कृष्ण के 16108 विवाहों का आध्यात्मिक महत्व समझाया। आठ प्रकार की प्रकृति को अष्ट पटरानी के रूप में बताया। वेद के सोलह हजार मंत्रों को सोलह हजार पत्नियों और सौ उपनिषदों को सौ रानियों के रूप में वर्णित किया।
कथा व्यास ने श्रेष्ठ जीवन पर विस्तार से बताया कि मनुष्य को प्राकृतिक, सहज और स्वाभाविक रहना चाहिए जो जितना नैसर्गिक स्वाभाविक है वह उतना ही समर्थ है । सामर्थ तब प्रकट होता है जब व्यक्ति दिखावा से परे हटकर प्रकृति के निकट जाता है। आज मानव जीवन में जितनी दुविधाएं हैं वह इसलिए खड़ी है कि हम हम अप्राकृतिक हो रहे हैं , भौतिकीय आकर्षक इतने अधिक हैं अथवा सांसारिक प्रलोभन इतने प्रचंड है कि हम स्थूलता, भौतिकीय उत्कर्ष , भौतिकीय प्रगति की ओर आकर्षित होकर उसी की ओर बढ़ रहे है और यह भूल जाते हैं कि हम उन्नति नहीं कर रहे यह हमारी अवनति है। यदि व्यक्ति उन्नति चाहता है ,प्रगति व उत्कर्ष चाहता है और जीवन को बहुत ऊंचाइयां देना चाहता है तो सांसारिक भौतिकवाद से दूरी बनाना होगी । इस संसार में जितने भी भौतिक पदार्थ हैं वह मन को बहुत नीचे की ओर ले जाते हैं। जिसे हम उत्थान कहते हैं सच में वह हमारा पतन है । यदि व्यक्ति को छल पूर्वक व झूठ बोलकर किसी प्रकार की उन्नति मिली है और आप उन्नयन की दिशा में सफलता अर्जित कर रहे हैं तो यह सच्ची सफलता नहीं है। सच्ची सफलता यह है की हम सब सहज रहे, निश्चल रहे ,स्वाभाविक रहे और हमारे द्वारा कभी मनसा वाचा कर्मणा छल ना हो, अतः निश्छल रहे, शांत रहें, स्वाभाविक रहे।
पंचनद के तट पर कथा कहने को अपना सौभाग्य बताते हुए कथा व्यास ने यहां जन्म लेने वाले एवं यहां निवास करने वाले लोगों को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि यह पौराणिक स्थान है । अनेक ऋषियों ने यहां साधना व तपस्या करके सिद्धियां प्राप्त की है। महाभारत के  श्लोक से उदाहरण देते हुए कहा कि पंचनद के निवासियों ने  महाभारत युद्ध में हिस्सा लिया था…
कृत्सनं पंचनद चैव तथैव वामर पर्वतम् ।
उत्तर ज्योतिष चैव तथा दिव्यकटं पुरम।।
एक अन्य प्रसंग में पंचनद प्रदेश को पांडव नकुल ने अपनी दिग्विजय यात्रा में जीता था                                                                          तत: पंचनंद गत्वा नियतों नियाताशन:
महाभारत वन पर्व से पंचनद को तीरपंचनद पर नौ दिवसीय शतचंडी यज्ञ में छठवें दिन श्रीमद् भागवत कथा्थ रूप में भी मान्यता सिद्ध होती है । पंचनद का अग्नि पुराण में भी उल्लेख है। विष्णु पुराण में श्री कृष्ण के स्वर्गारोहण के बाद और द्वारका के समुद्र में डूब जाने पर अर्जुन द्वारा द्वारका वासियों को पंचनद क्षेत्र में बसाए जाने का उल्लेख है।
पार्थः पंचनदे देशे, बहुधान्यधनान्विते।
चकारवासं सर्वस्य जनस्य मुनि सन्तम्।।
गोवंश की निरंतर हो रही दुर्दशा एवं हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि गाय पशु नहीं है, हमारे वेद शास्त्र पुराण चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं  *”पशुओं न गावः”*  गाय पशु नहीं है लेकिन सरकार ने इसे पशु श्रेणी में रखकर गाय व गाय को देवता मानने वाले सनातनियों का घोर अपमान किया है । गाय मे तेंतीस कोटि देवता निवास करते हैं। जिस घर में गाय की सेवा और पूजा होती है उस घर में कलयुग और पाप प्रवेश नहीं कर सकता अतः हम सबको गाय की सेवा और रक्षा करना चाहिए। जब तक गाय गंगा और ब्राह्मण सुरक्षित है तभी तक सनातन धर्म सुरक्षित है।श्रोताओं ने भक्ति व आनंदभाव से कथा का श्रवण किया।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

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