रायबरेली। सांसद सोनिया गांधी के प्रयास से जिले में निर्माणाधीन रिंगरोड पर नौ साल बाद भी फर्राटा भरने का सपना पूरा नहीं हो पाया है। निर्माण पूरा नहीं होने से एक ओर जहां शहरवासियों को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है, वहीं हाईवे पर वाहनों की लंबी लाइनें लग रही हैं। जिस एजेंसी को यह काम सौंपा गया। उसे एक साल पहले ही रिंगरोड का निर्माण कराकर पूरा कर लेना था, लेकिन अब तक काम कछुए की चाल से हो रहा है। इस ओर अधिकारी भी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। रिंगरोड का निर्माण वर्ष 2014 में शुरू हुआ था। काम कराने के लिए कई कंपनियां आईं। आधा अधूरा काम छोड़कर भाग गईं। वर्ष 2021 में यह कार्य एनएच डिवीजन लखनऊ की ओर से मेसर्स महाकाल एजेंसी काम दिया गया है। एजेंसी को यह कार्य एक साल में पूरा करना था, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया। रिंग रोड निर्माण की धीमी रफ्तार पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अफसरों को फटकार लगाई है। इससे इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद जगी है।
करीब 17 किलोमीटर रिंगरोड रायबरेली-अयोध्या रोड, रायबरेली-सुल्तानपुर रोड, रायबरेली-जौनपुर रोड, रायबरेली-लखनऊ, रायबरेली-प्रयागराज से जोड़ेगा। रिंगरोड का एक सिरा लखनऊ रोड पर हरचंदपुर के निकट डिडौली से शुरू होगा, जो प्रयागराज हाईवे पर कुचरिया गांव के निकट मिला है। रिंगरोड का निर्माण पूरा नहीं होने से सभी वाहन लखनऊ-प्रयागराज हाईवे से निकलते हैं। इससे जाम की समस्या बनी रहती है।
रिंगरोड पर छोटे और बड़े 12 पुल बनने हैं। आठ पुलों का काम पूरा हो गया है, जबकि तीन पुलों का कार्य चल रहा है। सबसे ज्यादा झमेला रेलवे लाइन के ऊपर बनने वाले पुल में है। कार्यदायी एजेंसी अब तक रेलवे से परमीशन समेत अन्य प्रक्रिया को पूरा नहीं करा पाई है। इस वजह से काम में रफ्तार नहीं आ रही है।