Lucknow: Son brought mother to hospital for eye treatment, left her before the operation, mother kept waiting

लखनऊ का मामला।
– फोटो : अमर उजाला।

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जिस मां की आंखें अपने बच्चों को गोद में लेकर खुशी के मारे भर आई हों, बड़े होते ही उन्हीं बच्चों को मां बोझ लगने लगीं। बेटे बूढ़ी हो चलीं आंखों का इलाज कराने मां को सिविल अस्पताल तो ले गए, लेकिन बहाने से छोड़कर भाग निकले। वृद्ध मां की आंख की रोशनी ठीक हुई तो उनकी आंखों के तारों ने दगा दे दिया। वह डेढ़ महीने तक अस्पताल में ही बेटों का इंतजार करती रहीं।

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थक हारकर रविवार को वह घर जाने के लिए निकलीं, लेकिन भटक गईं। लोगों ने उन्हें हजरतगंज थाने पहुंचा दिया। 65 वर्षीय वृद्धा ने आपबीती सुनाई तो पुलिस वालों के दिल भी पसीज गए। उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ महीने पहले आंखों का इलाज कराने के लिए बेटे उन्हें सिविल अस्पताल ले गए थे। वहां इलाज चला। दो दिन के बाद बेटे उन्हें देखने नहीं आए। वह रोज घर जाने के लिए बेटों की राह ताकती रहीं। उम्मीद खत्म होने पर वह खुद ही घर जाने के लिए निकल पड़ीं, मगर रास्ते याद नहीं आए।

इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने बताया कि वृद्धा से बातचीत के बाद पुलिस टीम ने उनके बेटों की तलाश शुरू की। पता चला कि एक बेटा आशियाना रुचिखंड दो में रहता है और दूसरा मड़ियांव में। एक वाहन चालक है और दूसरा खुद का बिजनेस करता है। दोनों से संपर्क कर उन्हें थाने बुलाया गया।

पुलिस ने समझाया, हिदायत भी दी

बेटों ने बताया कि पत्नी के दबाव में वे मां को साथ में नहीं रख पा रहे। मां को साथ रखते हैं तो घर में झगड़ा होता है। इस पर पुलिस ने दोनों को समझाया और मां को उनके सुपुर्द कर दिया। साथ ही यह हिदायत दी कि वे दोनों हर 15 दिन में स्थानीय थानों में जाकर मां की कुशलता की जानकारी देंगे। उनके न पहुंचने पर पुलिस खुद उनके घर पहुंच जाएगी। पुलिस उनके घर में औचक जाकर भी मां से कुशलक्षेम पूछेगी।



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