आगरा के दयालबाग के माथुर फार्म हाउस में हरे पेड़ काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भूमि मालिक पर 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी ने प्रति पेड़ एक लाख रुपये के जुर्माने की सिफारिश की थी। कोर्ट ने पेड़ काटने के एवज में 20 गुना ज्यादा यानी 340 पेड़ लगाने का आदेश दिया है। इसके लिए माथुर फार्म हाउस संचालकों को वन विभाग को जमीन देनी होगी और पेड़ों के रखरखाव का खर्च भी जमा करना होगा।
आगरा के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जवल भुइयां की बेंच ने माथुर फार्म हाउस मामले में सुनवाई की। यहां 17 पेड़ काटने की शिकायत पर 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। फार्म हाउस संचालकों के अधिवक्ता ने कोर्ट में 340 पेड़ लगाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने में रियायत मांगी थी, जिस पर कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए अवमानना नोटिस जारी करने की चेतावनी दी, जिसके बाद अधिवक्ता ने सीईसी की सिफारिशों को मानने पर सहमति दी।
कोर्ट ने 340 पेड़ लगाने के लिए माथुर फार्म हाउस संचालकों से कहा कि वह वन विभाग को जमीन सौंपें। वन विभाग इनकी देखरेख पर जो धन खर्च करेगा, उसे भी संचालक ही जमा करेंगे। डॉ. शरद गुप्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुल गुप्ता ने दलीलें दीं, जिस पर कोर्ट ने निर्देश दिए कि माथुर फार्म हाउस पर यमुना नदी के डूब क्षेत्र में निर्माण संबंधी पाबंदियों के नियम लागू हाेंगे।
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मालगोदाम मामले में जारी किए नोटिस
माथुर फार्म हाउस पेड़ मामले के बाद गधापाड़ा मालगोदाम में काटे गए पेड़ों के मामले की सुनवाई की गई। इस मामले में भी डॉ. शरद गुप्ता ने सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी से शिकायत की थी, जिस पर सीईसी की रिपोर्ट देखकर कोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं। रेल विकास निगम के साथ जमीन की लीज लेने वाली कंपनियों गणपति लीजिंग और गणपति इन्फ्रा को नोटिस जारी कर जवाब मांगने के निर्देश दिए हैं।
तीन माह में पेठा इकाइयों पर मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पर्यावरण और प्रदूषण संबंधी मामलों में सुनवाई करते हुए पेठा इकाइयों की शिफ्टिंग पर सरकार से जवाब मांगा। पेठा इकाइयों को शिफ्ट न करने पर पूछा कि पिछले तीन माह में सरकार की ओर से क्या कदम उठाए गए। इस पर तीन माह में जवाब दाखिल करना होगा। नूरी दरवाजे से पेठा इकाइयों को कालिंदी विहार योजना में शिफ्ट करने के आदेश हैं।
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हेरिटेज कॉरिडोर से हटेगा मलबा
ताजमहल और आगरा किला के बीच मायावती सरकार में शुरू किए गए ताज हेरिटेज कॉरिडोर में यमुना की रेत के साथ निर्माण सामग्री भी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कॉरिडोर से मलबा हटाने के आदेश दिए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मलबे पर आपत्ति जताते हुए हटाने की मांग की थी। ताज और किले के बीच एएसआई बागीचा बना रहा है, जिसमें मलबे के कारण दिक्कतें आ रही हैं।