Minor driving two wheeler

स्कूटी चलाता और उस पर बैठे नाबालिग
– फोटो : संवाद

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हाथरस हादसे में तीन भाई-बहनों सहित चार की मौत से सिस्टम के साथ-साथ अभिभावकों पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। न तो ट्रिपलिंग पर पुलिस वाले रोक रहे हैं न लगातार हो रहे हादसों के बावजूद अभिभावक ही बच्चों को वाहन देने से बाज आ रहे हैं। पिछले पांच साल में हादसों में 258 नाबालिगों की मौत हो गई है। उसके बावजूद नाबालिग व नवयुवा ट्रिपल राइडिंग कर फर्राटा भरते फिर रहे हैं।

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नया कानून लागू होने के बाद एक साल में अलीगढ़ जिले में अब तक 37 नाबालिगों के चालान हुए हैं। ट्रिपलिंग राइडिंग पर भी 15,670 चालान हुए हैं। कहने को हम सिस्टम को भला बुरा कहते रहें। लेकिन, जवाबदेही तो हमारी भी बनती है कि अपने नाबालिग बच्चों के हाथों में वाहन न थमाएं। अगर घर का नवयुवा दोपहिया लेकर फर्राटा भर रहा है और ट्रिपलिंग कर रहा है तो उसे हिदायत दें।

नए कानून के बाद नाबालिगों के हाथों में वाहनों की रोकथाम के प्रयास होते रहते हैं। प्रयास बिना चालान समझाने व हिदायत देकर छोड़ने का रहता हैं। जो नहीं मानते या कई बार नियम तोड़ते दिखते हैं, तब चालान किया जाता है। अब नए सिरे से इस दिशा में अभियान छेड़ा जाएगा। ट्रिपलिंग पर लगातार कार्रवाई जारी है। – मुकेश चंद्र उत्तम, एसपी यातायात



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