हवाई हमला, तेज धमाका, खौफनाक मंजर, चीख-पुकार के बीच सायरन का शोर, जिसको सुनते ही पूरा नजारा एकदम से बदल गया। सड़क, बाजार, पार्क और चौराहों के पास खड़े लोगों ने सुरक्षित स्थान तलाशा, जबकि अन्य लोग जमीन पर लेट गए। पुलिस, अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा कोर, स्वास्थ्य विभाग की टीम राहत व बचाव कार्य में जुट गई। अत्याधिक गंभीर लोगों को ग्रीन कॉरिडोर तैयार कर एंबुलेंस से अस्पताल भेजा गया।
यह मौक डि्रल बुधवार की शाम चार बजे युद्ध के संभावित खतरों को देखते हुए शहर के 10 जगहों पर हुई। इस दौरान आग लगने, बम विस्फोट होने, फायरिंग समेत अन्य आपातकालीन स्थिति में बचने का प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें सायरन का मतलब और ब्लैक आउट की जानकारी दी गई। स्कूल, कॉलेज, कार्यालय या अन्य किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर होने पर किस तरह से स्वयं और दूसरों की जिंदगी बचाई जा सकती है, इसका तरीका सिखाया। हर जगह किसी न किसी सीन का रुपांतरण हुआ। कुछ जगहों पर हमलावर फायरिंग करते हुए दिखाए गए तो अधिकतर में हवाई हमले के घटनाक्रम की प्रस्तुति हुई। बच्चाें और किशोरों को भी सावधानियां रखने की जानकारी दी गई।
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मॉक ड्रिल
– फोटो : अमर उजाला
बम की आवाज पर कान बंद कर लेट गए
दबौली मोड़ पर धमाके के बाद तेज सायरन बजा। वहां खड़े लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर भागे। जिन्हें कोई जगह नहीं मिली, वह कान बंद कर जमीन पर ही लेट गए। हमले में घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। डिप्टी डिविजन वार्डन दीप नारायण दीक्षित, स्टाफ अधिकारी रामजी गुप्ता और सहायक उपनियंत्रक विष्णु कुमार शर्मा ने मॉक डि्रल के साथ आग बुझाने समेत अन्य सावधानियों के बारे में बताया।
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घर में फंसे लोगों की जान बचाई
लखनपुर के डॉ एसके सिंह चौराहे पर बम विस्फोट की मॉक डि्रक हुई। शाम चार बजे अचानक सायरन की आवाज हुई, जिसको सुनते ही अफरा-तफरी मच गई। कई लोग टीन शेड के नीचे भागे तो कुछ जमीन पर कान बंद कर लेट गए। भगदड़ में घायलों को सिविल डिफेंस के लोगों ने एंबुलेंस तक पहुंचाया और अस्पताल भिजवाया। घर में फंसे हुए लोगों का बचाया गया। सिविल डिफेंस के पूर्व डिप्टी चीफ वार्डन राजीव सिंह ने हवाई आपदा के दौरान सभी तरह के उपायों को बताया। कल्याणपुर विधायक नीलिमा कटियार, एसीपी अभिषेक पांडेय, फायर स्टेशन अधिकारी परमानंद पांडेय आदि लोग उपस्थित रहे।
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हाथों की कुर्सी बना घायलों को अस्पताल पहुंचाया
ट्रांसपोर्ट भवन में मौक डि्रल की गई। यहां बाजार का सीन तैयार किया गया। हवाई हमला होते ही भगदड़ मची। लोग घायल हुए। वरिष्ठ सहायक उप नियंत्रक प्रभारी विमलेश यादव ने दो लकड़ी और उसमें कंबल लेकर स्ट्रेचर बनाने का प्रशिक्षण दिया। कुर्सी नहीं होने पर घायलों को कैसे ले जा सकते हैं, इसका तरीका समझाया। अंगौछे, तिकोने कपड़े के टुकड़ों को पट्टी के रूप में प्रयोग करने और सीपीआर की जानकारी दी गई। डिवीजनल वार्डन अनुज, स्टाफ अफसर दानिश, डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी, एडीसीपी अर्चना सिंह, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कपूर, मनीष कटारिया, श्याम शुक्ला आदि मौजूद रहे। 17 यूपी गर्ल्स बटालियन की टीम मौजूद रही लेफ्टिनेंट पूनम सिंह और सेकेंड ऑफिसर नीतू गौड़ ने जान बचाने के तरीके बताए।
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आग लगने पर न घबराएं, सावधानी से बुझाएं
हरबंश मोहाल की घनी आबादी के मदनमोहन मालवीय पार्क में हमले का नाट्य रुपांतरण किया गया। दमकल कर्मियों ने सिलिंडर में कृत्रिम आग लगाई और उसे कंबल से बुझाने के तरीके बताए। युद्ध की परिस्थितियों में आम जनता को क्या करना है सिविल डिफेंस ने इसका प्रदर्शन किया। लोगों से अपील की गई कि युद्ध जैसी परिस्थितियों में तुरंत जहां हों वहीं सुरक्षित जगह देखकर खुद को बचाएं। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह, एडीएम डॉ राजेश सिंह, डीसीपी पूर्वी श्रवण कुमार सिंह, एडीसीपी पूर्वी मनोज पांडेय, एसीपी कलक्टरगंज आशुतोष सिंह, सेना के जवान, मुख्य अग्निशमन अधिकारी दीपक शर्मा, अग्निशमन अधिकारी कर्नलगंज प्रदीप शर्मा, हरबंश मोहाल इंस्पेक्टर विक्रम सिंह आदि मौजूद रहे।