{“_id”:”67c3475784205f995a0ea262″,”slug”:”piyush-mishra-presented-live-concert-in-lucknow-people-of-lucknow-danced-on-hit-songs-2025-03-01″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”पीयूष मिश्रा कंसर्ट: एक बगल में चांद होगा एक बगल में रोटियां… से लेकर आरंभ है प्रचंड तक पर झूमे लोग”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
पीयूष मिश्रा ने पेश किए गीत। – फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
उनके गीतों में कहीं ठहराव है तो कहीं गति… कहीं सौम्यता है तो कहीं प्रचंडता। बीच-बीच में दर्शकों से बातचीत होती है तो कहीं हल्की-फुल्की मस्ती और मजाक भी। यही वो अंदाज है जो पीयूष मिश्रा को अन्य गायकों से अलहदा करता है। शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित पीयूष मिश्रा के कंसर्ट में उनका यही अंदाज रूबरू देखने को मिला। यहां दर्शक एक ओर उनके गीतों पर झूमते रहे तो दूसरी ओर उनके अंदाज-ए-बयां ने लखनवियों को अपना मुरीद बना दिया।
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अपने म्यूजिकल ग्रुप बल्लीमारान के साथ उड़नखटोला टूर पर निकले पीयूष मिश्रा शनिवार को लखनऊ में थे। अमर उजाला इस कार्यक्रम में मीडिया पार्टनर रहा। स्टेज पर पहुंचते ही दर्शकों ने जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया। एक बखत की बात है… जब शहर हमारा सोता है… गीत से उन्होंने शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आज हम नेट और जेट के युग में हैं जहां खतों की अहमियत खत्म हो गई है। इसके बाद उन्होंने सुनाया- थोड़ा नजारा चटपट बातें, यही कहानी आते-जाते… थोड़ी हंसी है थोड़े लतीफे, थोड़ा तराना चटपट बातें। फिर शेक्सपियर और हेमलेट का जिक्र छेड़ते हुए उन्होंने पुराने दिनों का जिक्र किया। इसके बाद उन्होंने सुनाया- वो सुहाने दिन आशिकाने दिन, ओस की नमी में भीगे वो पुराने दिन…। इस गीत पर भी खूब तालियां बजीं। इसके बाद उन्होेंने मशहूर शायर फैज अहमद फैज की एक नज्म भी सुनाई।
एक बगल में चांद होगा एक बगल में रोटियां…
पीयूष मिश्रा ने जब गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म का अपना मशहूर गीत एक बगल में चांद होगा एक बगल में रोटियां… सुनाया तो पूरा प्रांगण तालियों से गूंज उठा। लोग वंस मोर वंस मोर… चिल्लाने लगे। उन्होंने कहा कि जिंदगी आज की है, इसलिए इसे आज जीभर कर जी लो।
आरंभ है प्रचंड… ने भरा दर्शकों में जोश
फिल्म गुलाल का मशहूर गीत सुनाने से पहले पीयूष मिश्रा ने कहा कि अब मैं वो सुनाने जा रहा हूं जिसे आप सुनने के लिए बैठे हैं। इसके बाद उन्होंने आरंभ है प्रचंड… बोल मस्तकों के झुंड… आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो… सुनाया तो दर्शकों का शोर और तालियां अपने शिखर पर पहुंच गईं। जोश भरे गीत पर दर्शक अपनी जगह पर खड़े हो गए और मोबाइल की लाइटें जलाकर झूमने लगे।
दिल खुश हो जाता है लखनऊ आकर
पीयूष मिश्रा ने दर्शकों का उत्साह देखकर कई बार लखनऊ की तारीफ की। उन्होंने कहा कि लखनऊ आकर मन खुश हो जाता है। कहा, दिल्ली में मैंने बहुत समय गुजारा। वहां के बल्लीमारान मोहल्ले में शायर मिर्जा गालिब रहा करते थे। मैं उनका शुरू से ही बड़ा प्रशंसक रहा हूं, इसलिए मैंने अपने म्यूजिकल ग्रुप का नाम भी बल्लीमारान ही रख लिया।