इसके बाद वह अपराध की दलदल में फंसता चला गया। उसने हत्या, डकैती और लूट जैसे संगीन अपराधों को अंजाम दिया। डकैती के एक मामले में 10 साल की सजा काटने के बाद वह करीब छह माह पहले ही जेल से आया था। जेल से बाहर आते ही उसने दोबारा अपराध करना शुरू कर दिया। 13 दिसंबर को गंगोह कोतवाली पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट खोल दी थी। उधर, एनकाउंटर का पता चलते ही तीनों बड़े भाई शव लेने के लिए शामली के लिए रवाना हो गए थे।
तीन माह तक जमात में रहा फिर भी नहीं सुधरा अरशद
मृतक अरशद के भाई राशिद ने बताया कि अरशद पूर्व में कग्गा गैंग से जुड़ा था, मगर अब वह किसी भी गैंग में नहीं था। तीन माह पहले ही उसे राजस्थान में जमात में भेजा था। कहा था कि जमात में जाएगा तो पूरी तरह से सुधर जाएगा। जमात में जाने के लिए परिजनों ने उसे तीस हजार रुपये भी दिए थे। जमात से आने के बाद वह नमाज भी पढ़ने लगा था। मगर अब मुठभेड़ कैसे हुई उन्हें जानकारी नहीं है।
जमात में जाने की बात कहकर गया था घर से
अरशद की मां हुसैना ने बताया कि जब अरशद जेल से रिहा होकर घर आया था। तब उसने करीब दो महीने परिवार के साथ बिताए। उस वक्त ऐसा लग रहा था कि शायद वह सुधर गया है। 20-25 दिन पहले घर से जमात में जाने की बात कहकर निकला था। इसके बाद उससे कोई संपर्क नहीं हुआ।
रोते- बिलखते हुए हुसैना ने बताया कि अरशद बचपन में बेहद शांत और मासूम था, लेकिन किस्मत ने उसे गलत राह पर धकेल दिया। जब वह कुख्यात बदमाश मुस्तफा उर्फ कग्गा के संपर्क में आया, तो वह अपराध की दुनिया में फंसता चला गया। उसे काफी समझाया कि यह रास्ता ठीक नहीं है, लेकिन उसकी संगत ऐसी हो गई थी कि वह बाहर ही नहीं निकल सका।