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मानसिक विकार – फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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बार-बार हाथ धोना, किसी से मिलकर आए तो नहा लेना। बार-बार फोन और ताला लगा कि नहीं जांचना। ये स्वच्छता और सजगता नहीं, बल्कि मानसिक विकार हैं। ऐसा कोई करने लगे तो वह मानसिक बीमारी की दस्तक है। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में आने वाले मरीजों में 8 फीसदी में ये दिक्कत मिल रही है।
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संस्थान निदेशक प्रो. दिनेश राठौर ने बताया कि बार-बार हाथ धोने, दरवाजा बंद है कि नहीं, सामान का बार-बार गिनना, किसी के छूने से बचने, यहां तक कि बच्चों को भी इसके लिए दबाव डालते हैं। ये ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसआर्डर (ओसीडी) होता है। इसमें मरीज को पता है कि बार-बार ऐसा करना गलत है, लेकिन ऐसा नहीं करने पर उसे बेचैनी, घबराहट होने लगती है।
फोन, ताला समेत अन्य कार्य के लिए बार-बार चेक करने की स्थिति को फियर ऑफ मिसिंग आउट (फोमो) बाेलते हैं। इसमें फोन-इंटरनेट से उनका कार्य जुड़ा होने वाले लोगों में तनाव और कार्य का दबाव के चलते ये स्थिति बनती है। अन्य लोगों में इंटरनेट एडिक्शन की वजह से ये विकार पनपता है। इनमें मरीजों की संख्या 20-25 साल की उम्र से शुरू हो जाती है। मानसिक रोगों की चार मुख्य बीमारियों में ये भी शामिल हैं।